टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (08/08/2023): दिल्ली के जंतर मंतर पर छत्तीसगढ़ी से आए महरा समाज के लोगों ने प्रचंड प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ के महरा जाति के लोग जंतर-मंतर पर हैं और उनकी मांग है कि अनुसूचित जनजाति में तुरंत इस समाज को शामिल किया जाए और शामिल करने हेतु उचित कार्रवाई करने की मांग की।
छत्तीसगढ़ के मूल निवासी महरा जाति संपूर्ण छत्तीसगढ़ में आदिकाल से निवासरत हैं। इनकी जनसंख्या लगभग 12 लाख हैं। इनके जीवनयापन का साधन मजदूरी, वनोपज संग्रहण, कपड़ा बुनना एवं कोटवारी करना हैं। स्वतंत्रता के पूर्व तथा बाद के कुछ वर्षो तक यह जाति अनुसूचित जनजाती की सूची में शामिल थी जिसे बाद में बिना किसी अधिसूचना के वर्तमान सूची से हटा दी गई। समाज की आर्थिक व शैक्षणिक विकास के लिए सरकारी प्रोत्साहन अति आवश्यक हैं ।
महरा जाति 31 मार्च 1949 के जारी हुए मध्य प्रांत एवं बरार राज्य के रियासतों के भूमि अधिकारआदेश में मूल निवासी आदिवासी जातियों की सूची में क्रमांक 69 पर दर्ज है, जो कि राज्य गजट में प्रकाशित हैं। पुन 8 दिसम्बर 1950 में मध्य प्रदेश के गजट में भी इस जाति को अनुसूचित जनजातियों की सूची में यथावत् क्रमांक 69 में रखा गया।
सन् 1993 में बस्तर आदिम जाति अनुसूचित जाति व जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग प्राधिकरण, जगदलपुर के अनुसंधान परीक्षण पश्चात् जिला अध्यक्ष व अपर आयुक्त बस्तर द्वारा महरा जाति को अनुसूचित जनजाति की वर्तमान सूची में पुन शामिल करने की अनुशंसा की गई तथा जाति की उपस्थिति संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में बताई गई। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पश्चात् दिसम्बर 2002 में छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग रायपुर द्वारा इस जाति का परीक्षण प्रतिवेदन प्रेषित किया था जिसमें इस जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की अनुशंसा की गई थी। जून 2003 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सचिव जनजाति कार्य मंत्रालय भारत सरकार को महरा जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की अनुशंसा कर दी गई थी।
अब अपने मांगों को लेकर इस समाज के लोग दिल्ली के जंतर मंतर पर जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं।।