75 वर्षों में हमने काफी प्रगति की है लेकिन अभी बहुत प्रगति बाकि है: डॉक्टर ज्ञानेश्वर मुले | National Summit On Leadership In Positivity

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (19 नवंबर 2022): राजधानी दिल्ली में आयोजित 2nd National Summit On Leadership In Positivity कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भाग लिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश एवं मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अरुण मिश्रा विशिष्ट अतिथि थे ।

मंच पर अरुण कुमार मिश्रा ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि “पॉजिटिव विचारों को संवैधानिक मूल्यों के ऊपर तौलते हैं। जब संविधान निर्माण किया जा रहा था और यूनाइटेड नेशन की घोषणा पत्र जो मानव विकास संबंधी है जारी किया जा रहा था। महात्मा गांधी ने यूनाइटेड नेशन को पत्र लिखकर उनसे अपेक्षा की थी कि अधिकार तथा जिम्मेदारियां साथ -साथ चलती है। दोनो को एक दूसरे से पृथक नहीं किया जा सकता है। हमारे संविधान के अनुच्छेद 51(A) में संशोधन के दौरान फंडामेंटल ड्यूटी को जोड़ा गया। अगर हम भाग 3 में अधिकार लिखित हैं वो काम करना है तो, हमारे संविधान निर्माताओं ने मानव अधिकार के पॉजिटिविटी को संविधान में समाहित किया है।”

 

श्री मिश्रा ने आगे कहा “हमारे संविधान में जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया उनका आदर, देश के समस्त नागरिकों में भाईचारा, विश्व बंधुत्व, अनेकता में एकता, सर्व धर्म समभाव, नारियों का सम्मान आदि उल्लेखित है। प्रकृति, बल, नदी, तालाब, जैव विविधता, संवेदनशीलता दिल को छूने वाली बात है। अगर हम इन सभी चीजों का सम्मान नहीं करते हैं तो हमारा जीवन स्वत: समाप्त हो जाएगा।”

आगे श्री मिश्रा ने कहा ” प्रकृति की ओर अग्रसर होना सबसे बड़ी पॉजिटिविटी है। हमें अपनी नेजिटिविटी का उन्नति ना करने का आरोप दूसरे पर मढ़ने की बात है तो शायद हमें भूल है कि हमने उस दिशा में अपना मापदंड तय नहीं किया, सत्य विचार नहीं रखा। आत्मनिरीक्षण आवश्यक है।

आखिर में अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि ” हमें खुशियों का बंटवारा करना चाहिए, खुशी बटनी चाहिए। अगर इस देश में किसी के साथ इंसाफ नहीं हुआ तो वो इस देश का गरीब है, साफ- सफाई करने वाले लोग हैं। हमें ऊंच-नीच का भेद मिटाकर पॉजिटिविटी बांटना चाहिए और निगेटिविटी को खत्म करना चाहिए।।

 

मंच से सभी अतिथियों एवं उपस्थित गणमान्य एवं प्रतिष्ठित लोगों को संबोधित करते हुए भारत सरकार के पूर्व सचिव , विदेश मंत्रालय , राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य एवं Movement of Positivity के प्रणेता डॉक्टर ज्ञानेश्वर मुले ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ” यह एक अलग तरीके का सम्मेलन है, लोग मुझसे पूछते हैं कि यह क्या है पॉजिटिविटी लीडरशिप समिट? मैं कहता हूं क्यों नहीं। मैं कहता हूं कि पॉजिटिविटी है क्या? पॉजिटिविटी का हमारे जीवन में हमारी संस्कृति में बहुत बड़ा महत्व है। हमारे संस्कृति में सत्यम, शिवम्, सुंदरम है। और यदि आज के समय की बात करें तो हमारे संविधान में उल्लेखित न्याय, समानता एवं स्वतंत्रता। यदि यह तीन चीज हम भारत के सभी लोगों को दे दें तो हमारा भारत स्वर्ग बन जाएगा। आज के दिन में जो हमने पॉजिटिविटी की परिभाषा बनाई है, उसमें सबसे पहले समावेशकता, रचनात्मकता, सृजनशीलता है यदि इस तीन चीजों को जीवन में भारत का प्रत्येक व्यक्ति उतार ले तो भारत बहुत आगे जाएगा।”

डॉक्टर मुले ने आगे कहा कि “75 वर्षों में हमने काफी प्रगति की है, लेकिन अभी और बहुत प्रगति करना बाकि है। हमने यदि 75वर्षों में एक विशाल लोकतंत्र बनाया है तो उस हिसाब से हमें सामाजिक समानता को बनाना भी अत्यधिक आवश्यक है।”