Unitech Builders के हाथों ठगे गए घर खरीदारों सुनाई अपनी पीड़ा, राष्ट्रपति और पीएम से लगाई न्याय की गुहार

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (24/05/22): यूनिटेक बिल्डर्स के हाथों ठगे गए 20,000 घर खरीदारों ने सरकार और सुप्रीम कोर्ट से विनम्र निवेदन करते हुए कहा कि हम भारत के 20’000 थके हुए मध्यमवर्गीय ईमानदार घर खरीदार आपसे याचना करते हैं कि यूनिटेक बिल्डर द्वारा हमें हमारे जीवन में होने वाले आर्थिक मानसिक शारीरिक यातना से मुक्ति दिलाया जाए।

लोगों ने कहा कि 7 दिसंबर 2008 को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ग्रांट थॉर्टन फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि यूनिटेक के पूर्वर्ती प्रमोटरों ने 17000 करोड़ से अधिक धनराशि की हेराफेरी की है।

लोगों ने बताया कि यूनिटेक ने अपनी सभी प्रोजेक्ट के निर्माण कार्यों को रोक दिया है। नियत समय पर घरों को खरीदारों को नहीं दिया। साथ ही बिना किसी निर्माण के घर खरीदारों से पैसे वसूलते रहे और जब पीड़ित घर खरीदारों की यूनिटेक के सीएमडी और एमडी रमेश चंद्र एवं अन्य सदस्यों के साथ की गई एक बैठक बेनतीजा रही। घर खरीदारों का विश्वास टूटा और हम कई समूहों में एनसीडीआरसी सुप्रीम कोर्ट में सन 2013 से यानी कि गत 9 वर्षों की अधिक समय से विभिन्न न्यायालयों के चक्कर लगाने को बाध्य हो गए हैं। आज तक अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

लोगों ने कहा कि हम माननीय राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री का भी ध्यान अपनी ओर अवगत कराना चाहते हैं। हमें जल्द से जल्द न्याय दिलाने में हमारी मदद करें। लोगों ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि हम लाचार बेबस पीड़ित घर खरीदार 9 वर्षों से अपने रिफंड की आशा में जी रहे हैं। इन 9 वर्षों में हमारे जीवन में बहुत कुछ बदल गया लेकिन अभी भी हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है।

प्रेस क्लब दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए बताया गया कि 10 वर्षों में अधूरे बने घरों की सात लाख इकाइयां 7 बड़े शहरों में अथवा लगभग 10 लाख यूनिट पूरे देश में अपूर्ण घरों से भरा पड़ा है। लगभग 50 लाख प्रति यूनिट की दर से पांच लाख करोड़ कीमत की राष्ट्रीय संसाधनों का अपव्यय और ईमानदार कर दाता के श्रम से उपार्जित धन राशि का दुरुपयोग है जो आज राष्ट्रीय अपशिष्ट में परिवर्तित हो चुके हैं।

लोगों ने मांग किया कि सभी लंबित गृह निर्माण संबंधित परियोजनाओं को पूरा करें एवं घर खरीदारों को सौंपे। सर्वोच्च न्यायालय एनसीडीआरसी के फुल रिफंड इंटरेस्ट के आदेश को कायम रखें। हम में से कई वरिष्ठ सदस्यों के साथ उम्र की सीमा में नहीं बांधते हुए और अन्य सदस्य जो आज अपनी परिस्थितिवश किन्ही कारणों से possession के लिए निर्धारित राशि देने में असमर्थ हैं, उन्हें उनकी राशि सूद समेत वापस किया जाए।।