दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली ‘टीचर यूनिवर्सिटी’ की शुरुआत की, टीचर के प्रोफेशन को वहां पहुंचाना है जहां पर सारे प्रोफेशन पहुंच गए हैं

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (4/03/2022): दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली टीचर यूनिवर्सिटी की शुरुआत किया है। उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी केवल टीचर नहीं बनाएगा बल्कि एक ऐसा टीचर बनाएगा जिनसे प्रेरित और प्रभावित होकर हजारों परिवार सपना देखे कि मैं भी टीचर बनूंगी और मेरे बच्चे भी टीचर बनेंगे। साथ ही, इस यूनिवर्सिटी के माध्यम से हमें टीचर के प्रोफेशन को भी उस पायदान पर लेकर जाकर खड़ा कर देना है जहां आज देश के बहुत सारे प्रोफेशन पहुंच गए है।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सबसे पहले टीम एजुकेशन का धन्यवाद कहा उन्होंने कहा कि आज हमारे पास कंप्लीट टीम एजुकेशन है इसमें शिक्षक, विद्यार्थी, प्रिंसिपल, वॉइस चांसलर, हायर और सीनियर एजुकेशन के अधिकारी और तमाम साथी ये सारे टीम एजुकेशन के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक सपना है कि हम दिल्ली में देश की और संभवत दुनिया की सबसे अच्छा टीचर ट्रेनिंग यूनिवर्सिटी स्थापित करें। उन्होंने अपने सपने को साकार करने का निर्देश मुझे दिया हुआ है। उन्होंने कहा कि एक ऐसे टीचर यूनिवर्सिटी की स्थापना करना जिसका स्तर उस आईआईटी और आईआईएम से भी अच्छा हो जिसे हम आज देश और दुनिया का प्रीमियम इंस्टिट्यूशन मानते हैं। उन्होंने कहा कि आज उस सपने को साकार करने का काम शुरू हो गया है। शायद दिल्ली टीचर यूनिवर्सिटी यह देश का सबसे तेजी से स्थापित होने वाले यूनिवर्सिटी (fastest establishing University) बनने जा रही है। इसी साल 4 जनवरी को दिल्ली विधानसभा ने इसका कानून पास किया था और 7 जनवरी को उपराज्यपाल ने इसके लिए मंजूरी दे दिया। साथ ही, 24 जनवरी को नोटिफिकेशन कर दिया गया कि 26 जनवरी से दिल्ली टीचर यूनिवर्सिटी स्थापित किया जाएगा। 4 जनवरी से 24 जनवरी के बीच सारे कागजी कार्रवाई पूरा हो गया था शायद ही कोई भी कागजी कार्रवाई इतनी जल्दी 22 दिन के अंदर यूनिवर्सिटी की पूरा हुआ होगा।

उन्होंने कहा कि जब आप टीचर यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट बनाते हैं। तो वह टीचर तैयार कर रहे होते हैं और b.ed प्रोग्राम तैयार कर रहे होते हैं। उनके जो बच्चे होते हैं वह ठीक से पढ़ लें और प्रैक्टिकल कर लें इसके लिए वह प्रयोगशाला(laboratory) ढूंढ रहे होते हैं। फिर वह सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल संपर्क करते हैं। उन्होंने कहा कि लेबोरेटरी एक स्कूल होता है और टीचर बनाने की मुख्य गतिविधि स्कूल में चल रहा होता है। साथ ही, स्कूल सिस्टम को लेबोरेटरी के तरह प्रयोग किया जाता है। साथ ही कहा कि आज पूरी टीम एजुकेशन ने ठान लिया है कि यह एक शिक्षा विभाग का यूनिवर्सिटी है। आज तक जो हम स्कूल में सीखते आए हैं वह है शिक्षण, प्रशिक्षण, नए कार्यक्रम, बोर्ड, इवैल्यूएशन और इन सबकी प्रयोगशाला आज हमारी यूनिवर्सिटी बनने जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि एक शिक्षक तैयार करना बहुत बड़ा चुनौती का काम है। एक इंजीनियर, डॉक्टर और मैनेजर तैयार करना आसान है क्योंकि वह जिंदगी के एक आयाम को छूते हैं। लेकिन शिक्षक एक 360 डिग्री है और उसका काम 360 डिग्री है। शिक्षक धरती पर एक मात्र ऐसा प्राणी है जो मनुष्य की 360 डिग्री जिंदगी को कवर करता है। इसलिए शिक्षक तैयार करना आसान काम नहीं है।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति इसमें मदद करेगा क्योंकि नई शिक्षा नीति में शिक्षक बनाने पर ज्यादा जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि नई शिक्षा नीति को आधार बनाकर पाठ्यक्रम को तैयार किया जाए और 4 साल का जो B.Ed का इंटीग्रेटेड प्रोग्राम है, वह शुरू हो इसी साल से 2 साल का यहां पर प्रोग्राम शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि 1996 की शिक्षा नीति में कहा गया था कि किसी भी राष्ट्र का निर्माण शिक्षकों के जरिए होगा तो आइए राष्ट्र निर्माता बनाते हैं। शिक्षक राष्ट्र निर्माता है यदि राष्ट्र का निर्माण शिक्षकों से होता है तो हम इस यूनिवर्सिटी से राष्ट्र निर्माता निकालेंगे। इस यूनिवर्सिटी से ऐसे-ऐसे राष्ट्र निर्माता निकालेंगे जो बच्चों की ज़िंदगी पर 360 डिग्री काम करेंगे और एक अच्छा आईएस, डॉक्टर, वकील, पत्रकार और एक अच्छा शिक्षक बनाएंगे ही लेकिन एक अच्छा इंसान भी बनाएंगे। इस पर बहुत जोर देकर काम करना पड़ेगा। ऐसी मेरी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अपेक्षा है।ताकि यहां से निकले हुए शिक्षक के बारे में कोई कह सके कि जैसे वह आईआईटी, आईआईएम, एम्स और इन सब के बड़े-बड़े प्रीमीयम इंस्टीट्यूट है और वहां से पढ़े हुए बच्चों के बारे में कहते हैं। यह उनकी ब्रांड है वैसे ही हमें दिल्ली टीचर यूनिवर्सिटी को एक ब्रांड बनाना है।

उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का सबसे मुख्य कारक यह है कि जो बच्चे इसमें शिक्षण लेंगा। उस बच्चे का 70% से ज्यादा समय क्लास रूम में नहीं जाएगा और यह अनिवार्य होगा कि 30% उसका समय सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में लगाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मैं शिक्षा विभाग से कहना चाहूंगा कि यह अब हायर एजुकेशन की यूनिवर्सिटी नहीं है और अब यह यूनिवर्सिटी दिल मांगे मोर स्टाइल में चलेंगी। उन्होंने कहा कि जब बच्चे यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेंगे तो पहले ही महीने से उसका ट्रेनिंग शुरू हो जाएगा। महीने के 30 दिन में से 20 दिन उसका यूनिवर्सिटी में और 10 दिन उसका स्कूल में बीतेगा और वह टीचर के साथ और बच्चों के साथ देखेगा कि कैसे पढ़ाया जाता है। हमें टीचर्स के प्रोफेशन को भी उस पायदान पर लेकर जाकर खड़ा कर देना है जहां आज देश के बहुत सारे प्रोफेशन पहुंच गए है। इसके लिए हमें पारिस्थितिकी तंत्र(ecosystem) बनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि इसके लिए दिल्ली के हर एक स्कूल में सेल जाए और उसका काम होगा कि 9वीं, 10वीं, 11वीं, और 12वीं के बच्चों को बताएं कि टीचर बनना क्या होता है क्योंकि अभी तक जो बच्चे टीचर बनना चाहते हैं उसे अपने टीचर को देखकर प्रेरणा मिलती है। अगर कोई बच्चा किसी भी विषय में 100 में से 100 नंबर लाता है तो कल्पना कीजिए उसके पेरेंट्स क्या सोचेंगे कि वह सब विषय का टीचर बन जाए। हमें केवल b.ed नहीं देना है क्योंकि b.ed बहुत सारे इंस्टिट्यूशन दे रहे हैं और वहां से अच्छे टीचर बन कर आ रहे हैं। हमें टीचर को एक संस्था, मान्यता और पद के रूप में समाज में खड़ा करना है। हमें b.ed नहीं देना है हमें ऐसे टीचर देना है जिनसे प्रेरित, प्रेरणा और प्रभावित होकर 1000 परिवारों में यह सपना जाए कि हमें भी टीचर बनना है और हमें अपने बच्चों को भी टीचर बनाना है।