बजट ने व्यापारियों को किया निराश ; बजट न हो कर चुनावी घोषणा पात्र ज्यादा लगा : वी के बंसल राष्ट्रीय महामंत्री

बजट पर फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया है कि माननीय श्री पीयूष गोयल द्वारा आज बजट के स्थान पर भाजपा का चुनावी घोषणापत्र जारी किया गया है । पुरे बजट में किसान , एवं मजदूरों की बात तो की है पर व्यापारियों के लिए यह बजट पूर्ण रूप से शून्य है । ऐसा लगता है कि सरकार को फल तो चाहिए जिसे वह सम्पूर्ण समाज को बाँट सके पर जिन पेड़ो से यह फल आने है उन पेड़ो की सेहत ,सुरक्षा एवं सुविधा का कोई ख्याल नहीं किया गया । सरकार के कुल राजस्व का 50 प्रतिशत भाग ,यानी की जीएसटी को उपभोक्ता से यकृत कर सरकारी खजाने में जमा करने वाले व्यापारी की सामाजिक सुरक्षा हेतु कोई बात नहीं की गयी जिस प्रकार मजदूरों को 3000 प्रतिमाह की घोषणा की गयी है । इस मुद्दे पर बजट ने व्यापारियों को निराश किया है । बजट में जॉब में लगे कर्मचारियों पर मेहरबानी की गयी है , जिन लोगो के पास कोई रोज़गार नहीं , उन्हें रोज़गार देने हेतु व्यापार पर कोई धायणा नहीं दिया गया है ।

व्यक्तिगत कर सीमा 2.50 लाख ही है सिर्फ 5.00 लाख तक की आय करमुक्त हो गयी है जो वर्तमान में 3.50 थी । आयकर में सेक्शन 87 A के अंतर्गत 2500 की रिबेट तो 12500 कर दिया गया । जिनकी आय 5.00 या ऊपर है उन्हें यह लाभ नहीं मिलेगा । इस छूट के कारण 6.85 करोड़ में से 3 करोड़ करदाता कर दायरे से बाहर हो जाएंगे । सरकार के अनुसार नोट बंदी के बाद 1.50 करोड़ करदाता बढे ,जिसमे से सरकार ने 3 करोड़ बहार निकाल दिए । इस प्रकार के पर्वधन सिर्फ भ्रम पैदा करते है।

लघु एवं मध्यम वर्गीय व्यापारी अधिकतर सांझेदार फर्म के मध्यम से व्यापार करता है जिसपर आयकर अधिकतम दर यानी कि 30 प्रतिशत की दर से लगता है ,जबकि बड़ी कंपनियों पर आयकर 25 प्रतिशत की दर से आयकर लगता है । इस बड़ी विसंगति ,जिससे विषय में फेडरेशन द्वारा सरकार से अनुरोध किया गया था , दूर नहीं किया गया है ।

किराए में टीडीएस की छूट की सीमा 1.80 लाख प्रति वर्ष से बढ़ा कर 2.40 लाख प्रति वर्ष कर दी गयी है । मुद्रा स्फीति को देखते हुए यह सीमा 3.00 लाख प्रति वर्ष कर देनी चाहिए क्योंकि वर्तमान 1.80 लाख की सीमा पिछले बहुत वर्षो से लागु है । टीडीएस की छूट की सीमा अन्य खर्चो पर भी बढ़ानी चाहिए क्योंकि सभी सीमा पिछले बहुत वर्षो से बड़ी नहीं है , जिसमे मुख्यतः कांट्रेक्टर , प्राइवेट ब्याज , पेशेवर को भुगतान इत्यादि है ।

फेडरेशन द्वारा ऑनलाइन इ कॉमर्स पर एक विशेष कर जो कम से कम 5 प्रतिशत हो, पर कोई विचार नहीं किया गया और देशी खुदरा व्यापारियों के अस्तित्व पर कोई निर्णय नहीं लिया गया ।

माननीय वित्त मंत्री जी ने यह तो बताया कि बड़े उद्योगों से डूबत ऋण से 3 लाख करोड़ो वसूले गए है , यह नहीं बताया कि कितना लाख करोड़ो लोन छोड़ दिया गया है या माफ़ कर दिया गया है ।

जीएसटी पंजीकृत लागु एवं मध्यम उद्योगों को 1 करोड़ तक के ऋण मे ब्याज में 2 प्रतिशत की छूट दी गयी है , इसमें एक स्पस्टीकरण की आवश्यकता है इस प्रावधान में सिर्फ औधोगिक इकाई शामिल है या ट्रेडर्स भी समिल्लित है । इस घोषणा का फेडरेशन स्वागत करता है और उम्मीद जाहिर करता है कि बैंक इस घोषणा का लाभ देने में कोताही नहीं बरतेंगे ।

फेडरेशन ऑफ़ आल इंडियन व्यापार मंडल आशा करता है कि माननीय प्रधान मंत्री जी को दिए गये बजट पूर्व ज्ञापन पर संज्ञान लिया जाए और व्यापारी हितो के लिए जीएसटी के अंतर्गत Universal Traders Composition Scheme पर गंभीरता से विचार किया जाए ।