संघर्ष और सफलता की अनूठी मिसाल: IAS अधिकारी सुहास एल.वाई. की प्रेरक कहानी

टेन न्यूज नेटवर्क

हरपाल सिंह, न्यूज सलाहकार

नई दिल्ली (16 अक्टूबर 2024)” टेन न्यूज नेटवर्क की इस खास रिपोर्ट में आपको उस शख्सियत के जीवन और संघर्ष की कहानी बताएंगे जिन्होंने अपनी तकदीर अपने हाथों से लिखा। अपने मेहनत और प्रयासों के दम पर वे उस ऊंचाई पर पहुंचे जहां पहुंचना सभी का सपना होता है। हम बात कर रहे हैं गौतम बुद्ध नगर के पूर्व जिलाधिकारी (DM) रहे सुहास एल वाई (Suhas LY, IAS) की, जिनके जीवन का संघर्ष और मेहनत कामयाबी की एक अनूठी मिसाल बन गई है। SleepWell Foundation के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी कहानी साझा करते हुए सुहास एल.वाई. ने कहा कि जीवन में सफलता का पैमाना केवल प्रयास और मेहनत है।

कौन हैं सुहास एल.वाई. ?

कर्नाटक के छोटे से जिले शिमोगा के गांव में जन्मे सुहास एल.वाई. को जन्म से ही पैर में दिक्कत (problem) थी। सुहास दो भाई हैं और दोनों में बड़े भाई हैं सुहास। सुहास एल वाई बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज और प्रतिभावान छात्र थे। उनकी सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई कन्नड़ में हुई, पिताजी कर्नाटक सरकार में इंजीनियर थे। इस कारण अलग अलग जगह ट्रांसफर होते गए और जब वे पिताजी के साथ जिला स्तर पर गए तब उनको इंग्लिश माध्यम के स्कूल में दाखिला मिला। 10वीं और 12वीं में वे बहुत अच्छे नंबरों से पास हुए।

 

करियर में दो विकल्प: इंजीनियर या डॉक्टर

सुहास एल.वाई. को उनके पिताजी डॉक्टर बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने 12वीं पीसीएमबी (Phy,Chi,Math &Bio) विषयों में पास की और मेडिकल तथा इंजीनियरिंग दोनों की प्रवेश परीक्षा पास की। पिताजी ने मेडिकल कॉलेज में उनका दाखिला(Admission) करा दिया। मेडिकल की फीस सरकारी कॉलेज में केवल ₹5000 पर सेमेस्टर थी, लेकिन सुहास एल वाई को मेडिकल पसंद नहीं था इसलिए उन्होंने मेडिकल छोड़कर नेशनल इंस्टीट्यूट टेक्नोलॉजी (NIT) सूरतकर में इंजीनियरिंग में दाखिला (Admission) ले लिया, और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग पास की। फिर प्राइवेट कंपनी में प्लेसमेंट होने के बाद जॉब करने लगे।

 

पिताजी की मौत के बाद यूपीएससी की तैयारी

सुहास एल.वाई. के पिताजी की मृत्यु 2005 में हो गई, और वह इस हादसे से बुरी तरह टूट गए। क्योंकि उनकी जिंदगी में पिताजी का महत्वपूर्ण किरदार (important role) था। उन्हें पिताजी की बहुत कमी खलती रही, इस बीच सुहास एल वाई ने ठान लिया कि वे पिताजी के लिए यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास करेंगे।उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और साथ ही अपना जॉब भी करते रहे। अपने पहले ही प्रयास (attempt) में यूपीएससी की परीक्षा पास कर वे IAS बन गये l

परिवार का मिला भरपूर साथ:

सुहास एल वाई के पिता अपने बेटे को सामान्य बच्चों की तरह ही देखते थे और चाहते थे कि सुहास एल वाई क्रिकेटर बने। खेल और पढ़ाई के मामले में परिवार ने उनको पूरी छूट दी और जो खेल उन्हें पसंद हो, जो खेलना चाहते हो, पढ़ाई के साथ-साथ वह चुने। सुहास एलवाई के पिता हमेशा उनसे जीत की उम्मीद रखते थे, पिताजी की नौकरी ट्रांसफर होने वाली थी। सुहास एल वाई की पढ़ाई अलग अलग शहरों मे होती गई परिवार ने उनकी दिव्यांगता को कभी बाधा नहीं बनने दिया

जिलाधिकारी( DM) बनने के बाद भी मंजिल की तरफ बढ़ते गए कदम:

यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद IAS बने और उनके पहली पोस्टिंग आगरा में हुई फिर जौनपुर सोनभद्र, आजमगढ़,हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने। सुहास एल वाई बहुत बड़े अधिकारी बन चुके थे, लेकिन फिर भी वह नहीं रुके और खेल का जो उनका शौक था उसमे आगे बढ़ते रहे।

ओलंपियन बनने का सफर:

जिलाधिकारी होने के बावजूद उन्होंने अपने खेल पर भी ध्यान दिया। जिस खेल को वह अपने ऑफिस की थकान मिटाने और शौक के तौर पर खेलते थे अब वह खेल उनकी जरूरत बन गई। वे बैडमिंटन खेलते थे, लेकिन जब कुछ प्रतियोगिताओं में मेडल आने लगे तो फिर उन्होंने बैडमिंटन को प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू कर दिया। 2016 में उन्होंने इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू किया, चीन में खेले गए बैडमिंटन टूर्नामेंट में सुहास एल वाई अपना पहला मैच हार गए लेकिन इस हार के साथ ही उन्हें जीतने का फार्मूला भी मिल गया और जीत का सिलसिला अभी तक जारी है।

पैरालंपिक में भाग लिया

IAS अधिकारी सुहास एल वाई ने अपने खेल को कड़े संघर्ष और मेहनत के दम पर इतना ताकतवर बनाया कि दो बार पैरालंपिक में भाग लिया। 2020 में टोक्यो में और 2024 में पेरिस में और दोनों में ही सिल्वर मेडल जीतकर भारत का और अपना विश्व में मान बढ़ाया और विश्व के नंबर वन बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का यह सफर अभी जारी है।

युवाओं के लिए मिसाल

आईएएस अधिकारी सुहास एल वाई आज युवाओं के आइकन (Icon) बन गए हैं। लाखों बच्चे उनको फॉलो (follow) करते हैं। जो मेहनत और संघर्ष, मध्यम वर्गीय परिवार में रहता है, उन्होंने किया। आज की जनरेशन उनको फॉलो कर रही है और उन्होंने आने वाले बच्चों को कहा कि हमेशा कड़ी मेहनत करें और अपने टारगेट पर ध्यान केंद्रित कर अपने मिशन को पूरा करें

सफलता का मंत्र: सुहास एल वाई ने बताया कि अपनी लाइफ में लगातार काम करते रहिए और कोशिश करते रहिए। अगर आप कोशिश करते रहेंगे तो आपको सफलता मिलेगी कोशिश ही सफलता का पैमाना है। आईएएस अधिकारी सुहास एल वाई ने आज के नौजवानों के लिए दो लाइनों मे मोटिवेशनल मंत्र दिया,

“निगाहों में मंजिल थी गिरे और गिरकर संभलते रहे , हवाओं ने कोशिश बहुत की लेकिन चिराग जलते रहे।”

अपने जिंदगी में चिराग जलाते रहिए और कोशिश करते रहिए और चलते रहिए चलते रहिए… ।।

 


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