टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (15 सितंबर 2024): आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने रविवार को अपने इस्तीफा देने की घोषणा कर दिल्ली समेत पूरे देश को चौंका दिया। इससे पहले, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जेल में सोचने और पढ़ने का काफी वक्त मिला। मैंने कई राजनीतिक, स्वतंत्रता आंदोलन, गीता, रामायण (Ramayan) और महाभारत (Mahabharat) की किताबें पढ़ीं। भगत सिंह की जेल डायरी को कई बार पढ़ा।
90-95 साल पहले जेल में भगत सिंह ने लेख लिखे थे और जेल से बाहर कई क्रांतिकारी साथियों और युवाओं को खत लिखे थे और अंग्रेजों ने उन तक पहुंचाया। भगत सिंह ने युवाओं को पत्र लिखे थे, उसे एक सम्मेलन में पढ़कर सुनाया गया। भगत सिंह की शहादत के 95 साल बाद एक क्रांतिकारी मुख्यमंत्री जेल गया। मैंने 15 अगस्त पर जेल से एक ही पत्र एलजी साहब (LG) को लिखा। देश का स्वाधीनता दिवस था। देश की आजादी के दिवस पर दिल्ली का मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार की तरफ से झंडा फहराता है। मैंने 15 अगस्त से तीन दिन पहले एलजी साहब को पत्र लिखकर कहा कि मैं चूंकि जेल में हूं, तो मेरी जगह आतिशी (Atishi) को झंडा फहराने की इजाजत दी जाए। वह मेरी चिट्ठी एलजी साहब तक नहीं पहुंचाई गई। मुझे चिट्ठी वापस कर दी गई और चेतावनी जारी की गई कि अगर आपने दूसरी बार एलजी साहब को चिट्ठी लिखने की हिम्मत की तो आपकी फैमिली मुलाकात (family meeting) बंद कर दी जाएगी।
अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा था कि आजाद भारत के 95 साल के बाद अंग्रेजों से भी ज्यादा क्रूर और अत्याचारी शासक देश के उपर आएगा। बटुकेश्वर दत्त (Bhagat Singh) और भगत सिंह ने असेंबली में बम फेका था। दोनों को एक ही जेल में अगल-बगल की कोठरी में रखा गया। 17 जुलाई 1930 को भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त की बहन प्रमिला को पत्र लिखा कि कल रात बटुकेश्वर को किसी दूसरी जेल में भेज दिया गया है। उनकी जुदाई मेरे लिए असहनीय हो रही है। आज पहला दिन है। मेरे लिए एक मित्र से जुदा होना हर एक मिनट बोझ बन गया है। 95 साल बाद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) एक ही केस में जेल जाते हैं। हमें अलग-अलग जेल में रखा जाता है और मिलने की इजाजत नहीं दी जाती है।
आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru), बाबा साहब अंबेडरकर (Baba Saheb Ambedkar), चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad), असफाक उल्ला (Asfaq Ullah) समेत अनगिनत स्वतंत्रता सेनानी जेल गए और कई सालों तक जेल में रहे। उनके साथी जेल में मिलने जाया करते थे। उनके घर के लोग और रिश्तेदार मिलने जाते थे। जब वो मिलने जाते थे, तो उनसे राजनीतिक बातें करते थे कि कैसे अंग्रेजों को उखाड़कर फेंकना है। एक दिन डॉ. संदीप पाठक (Sandeep Pathak) जेल में मुझसे मिलने के लिए आए। मैंने देश के राजनीतिक हालात और पार्टी के बारे में पूछा। इसके बाद संदीप पाठक को ब्लैक लिस्ट (Black List) कर दिया गया और मुझसे मिलने नहीं दिया गया।
फांसी पर चढ़ने वाले भगत सिंह ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसा भारत होगा, आज से 95 साल बाद भारत में एक क्रूर और अत्याचारी सरकार आएगी कि वो अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ देगी।
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