बिहार की सियासत में प्रशांत किशोर की प्रासंगिकता, जन सुराज यात्रा का क्या होगा प्रभाव

रंजन अभिषेक
टेन न्यूज नेटवर्क 

पटना (13 नवंबर 2023): बिहार राजनैतिक रूप से सदैव ही समृद्ध और उर्वर रही है। बिहार जेपी की भूमि है और यहां के राजनीतिक डगर को समझना इतना आसान नहीं है। बिहार की सियासत देशभर में चर्चा में बनी रहती है। वर्ष 2014 में जब पूरा देश पीएम मोदी के लहर से सराबोर था और कहा जाता था कि देश में एक अलग राजनीति का पादुर्भाव हो रहा है लेकिन उस प्रचंड लहर के बावजूद साल 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार ने बीजेपी और एनडीए को नकार दिया। यह बिहार की राजनीतिक सूझबूझ का एक उदाहरण है। वहीं साल 2020 में जब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और युवा नेता तेजस्वी यादव की काफी चर्चा हो रही थी उस समय भी बिहार ने अपने राजनीतिक प्रबुद्धता का परिचय देते हुए एनडीए गठबंधन को अपना मत दिया। निश्चित तौर पर बिहार हमेशा ही राजनीति में अपना एक अलग कीर्तिमान स्थापित किया है।

प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं। बिहार में गांव- गांव घूमकर प्रशांत किशोर यात्रा कर रहे हैं लोगों से मिलकर संवाद कर रहे हैं और बिहार में जनता की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं।

आपको बता दें कि प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं और पूर्व में उन्होंने कई राज्यों में अलग अलग राजनीतिक पार्टियों के लिए काम किया है। अब वह स्वयं अपनी सियासी जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं।

जन सुराज यात्रा की प्रासंगिकता

भारतीय राजनीति में पदयात्रा का एक अहम महत्व रहा है। पूर्व में भी कई सियासी पार्टियों के काद्दवर नेताओं ने पदयात्रा कर लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने में कामयाबी हासिल की है। एक जमाने में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी रथ यात्रा निकालकर लोगों के बीच जाकर उनका नब्ज टटोलने का प्रयास किया था वहीं हालिया कुछ दिन पूर्व ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकालकर लोगों के बीच अपनी विश्वसनीयता बनाने में कामयाबी हासिल की है।

ऐसे में प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा भी कहीं ना कहीं जनता का ध्यान आकर्षित करने में उनके बीच अपनी विश्वसनीयता और पैठ बनाने में कामयाबी हासिल करते नजर आ रहे हैं। उनके इस यात्रा को बिहार में व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।।