दिल्ली में बाढ़ पर सियासत: बीजेपी बोली दिल्ली को डुबोने के लिए केजरीवाल सरकार की लापरवाही है जिम्मेदार

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (19/07/2023): दिल्ली में यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण दिल्ली के तमाम इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा होने से आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो चुकी है। हालात सामान्य हो रहा है, लेकिन दिल्ली की सियासत कम नहीं हो रही है। दिल्ली में बाढ़ के लिए आप ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है तो वहीं बीजेपी ने आज केजरीवाल सरकार पर जमकर हमला बोला।

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि राजधानी को बाढ़ में डुबोने के लिए पूरी तरह केजरीवाल सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है। अगर यमुना की समय पर सफाई कराई जाती, आईटीओ यमुना बैराज पर ध्यान दिया होता और यमुना में गिरने वाले 17 ड्रेन की गाद निकलवाई होती तो हजारों लोगों को बाढ़ की त्रासदी से बचाया जा सकता था।

केजरीवाल सरकार की लापरवाही और अदूरदर्शिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले छह साल से बाढ़ नियंत्रण के लिए अपेक्स कमेटी की बैठक ही नहीं बुलाई। मुख्यमंत्री इस कमेटी के अध्यक्ष हैं। सरकार ने समय रहते न तो कोई कदम उठाया और न ही स्थिति की गंभीरता को समझा।

उन्होंने बताया कि दिल्ली में पिछले आठ साल से यमुना की सफाई नहीं हुई। सफाई न होने के कारण यमुना में 6 फुट गाद जमा है। गाद का निरीक्षण यमुना में बने पुलों या फ्लाई ओवरों के पिलर्स से किया जा सकता है। इसका यह सबूत भी है कि 1978 में यमुना में करीब 7 लाख 9 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था तो यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड 205.49 मीटर तक पहुंचा था लेकिन अब 2023 में 3 लाख 59 हजार क्यूसेक पानी से ही यमुना का जलस्तर 208.67 मीटर तक पहुंच गया। इससे पहले भी 2013 में 8 लाख 6 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था लेकिन यमुना का जलस्तर 1978 के स्तर से कम ही रहा था।

उन्होंने कहा कि यमुना में आई बाढ़ का कारण आईटीओ पर बने यमुना बैराज बताए जा रहे हैं। इन यमुना बैराज की मेंटेनेंस का काम हरियाणा सरकार करती है लेकिन इसका खर्चा दिल्ली सरकार देती है। हैरानी की बात यह है कि दिल्ली सरकार ने 2018 से ही मेंटेनेंस का भुगतान करना बंद कर दिया। अब दिल्ली सरकार मेंटेनेंस न होने के लिए हरियाणा पर दोष डाल रही है जबकि हरियाणा सरकार ने 26 जुलाई 2022 को भी दिल्ली सरकार को लिखा था कि ऑपरेशन और मेंटेनेंस के बकाया खर्च 47 लाख 83 हजार 504 रुपए का भुगतान किया जाए लेकिन दिल्ली सरकार ने यह भुगतान नहीं किया।।