दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर क्या बोले सुप्रीम कोर्ट के वकील, मामले में है कितनी सच्चाई?

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (03 मार्च 2023): दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कथित शराब घोटाले मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है और न्यायालय द्वारा उन्हें 05 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस पूरे मामले को लेकर टेन न्यूज की टीम ने उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं और कानून के विद्वानों से खास बातचीत की और यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इस पूरे मामले में। कितनी सच्चाई है और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी कितना उचित है।

इस पूरे मामले पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार पांडे ने टेन न्यूज से बातचीत में कहा कि अबतक जो कागजात उपलब्ध हैं उसके मुताबिक प्रथम दृष्टया जो बातें सामने आई है, इसके मुताबिक सीबीआई के पास एबिडेंस हैं। क्योंकि इससे पहले भी सीबीआई ने एकबार छापा मारा था लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था। दूसरा उनपर जो आरोप है कि मनीष सिसोदिया जांच में सहयोग नही कर रहे हैं। और फिर सीबीआई ने कोर्ट में पांच दिनों की रिमांड की मांग की तो इसलिए भी उन्हें न्यायाधीश को पूरा सेटिस्फाइड ( संतुष्ट) करना पड़ा होगा। हालाकि मनीष सिसोदिया उच्चतम न्यायालय भी गए थे जहां उच्चतम न्यायालय ने साफ शब्दों में कहा कि सबसे पहले तो इस सिस्टम को बदलिए दिल्ली में कुछ भी होता है आप सीधा सुप्रीम कोर्ट आ जाते हैं।आपको उच्च न्यायालय जाना चाहिए।

अधिवक्ता अजय कुमार पांडे ने आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल ने एक अच्छा काम और किया कि साथ ही साथ उनसे त्यागपत्र ले लिया। जो कि उन्होंने सत्येंद्र जैन के समय नहीं हुआ था और बतौर मंत्री वो दिल्ली सरकार में कंटीन्यू कर रहे थे। इस पूरे मामले को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि सीबीआई के सबूत हैं और पांच दिनों का वेट करना चाहिए कि सीबीआई उनसे क्या उगलवा पाती है। सीबीआई ने एक डिजिटल डायरी का जिक्र किया है, जिसमें ये शराब घोटाले का पूरा मसौदा तय किया गया था। सीबीआई ने सभी दलीलों को माना है , कोर्ट ने कहा कि इनका जो भी इंट्रोगेशन होगा उसमें मानव अधिकार का ख्याल रखा जाए। सीसीटीवी के अंदर इंट्रोगेशन होगा उसको भी सीबीआई ने मान लिया है, अबतक कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि फेयर ट्रायल हो रहा है।

इस पूरे मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता प्रियंका माथुर सरदाना ने टेन न्यूज से बातचीत में कहा कि आप पार्टी का गठन ट्रांसपेरेंसी और ईमानदार पार्टी के रूप में हुआ था। और जब ऐसे आरोपों में सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया जेल में हैं तो एक आम आदमी होने के नाते मैं ये तो नहीं कह सकती कि ये चार्जेज सही हैं या गलत हैं। लेकिन अगर एबिडेंसेज इतने मजबूत होते तो उन्हें उच्चतम न्यायालय ने रियायत जरूर मिलती। मनीष सिसोदिया पर शराब घोटाले के बारे में जो चार्जेज हैं एक बोतल पर एक फ्री जैसी चीजें निकलकर आ रही है, तो आगे ही पता चल सकेगा कि आखिर क्या था पूरा मामला।

उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता अजय कुमार ने टेन न्यूज से बातचीत में कहा कि जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था तो उन्होंने कहा कि हमारे को बोल रहे हैं इलेक्शन लड़ो तो लड़ गए और 49 दिन बाद इस्तीफा देकर आए तो इससे दिल्ली वालों के मन में इनके लिए “नायक” फिल्म वाली इमेज बनने लगी। लेकिन आज का सिनेरियो देखिए कि ये लोग प्रदर्शन करते हैं तो क्या इनके अंदर आज वो कॉन्फिडेंस नहीं है और अगर है तो ये सत्ता को छोड़े और एक आम आदमी की तरह ये अपनी प्रोसिडिंग को करें। “दूध का दूध और पानी का पानी” हो जाएगा। इनको भगवान राम के जैसे एक उदाहरण सेट करना चाहिए तब तो सोच सकते हैं कि अरविंद केजरीवाल भारत के प्रधानमंत्री बन जाएंगे लेकिन यदि इसी प्रकार ये मुंह छुपाकर ऐसे करते रहे ना तो मुझे नहीं लगता कि इस पार्टी का भविष्य पांच सात साल से ज्यादा चल सकेगा।

उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता सुशांत कुमार मलिक ने टेन न्यूज से बातचीत में कहा कि इस देश में मंत्री हों या कोई भी हो जो करप्शन करता है उनके लिए एक समान आइन है और आइन के हिसाब से अगर करप्शन के एविडेंस आ रहा है तो उनको सजा मिलना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता भरत सिंह ने टेन न्यूज से बातचीत में कहा कि कानून तो कानून है और इससे कोई खिलवाड़ करे तो उसको कानून ही पकड़ सकता है। अगर किसी ने करप्शन खाई है तो इस मुल्क में अब ना तो कोई गुंजाइश है उसके लिए और ना होनी चाहिए। अभी मामला विचाराधीन है तो ऐसे में अभी कुछ भी कॉमेंट करना ठीक नहीं है।

वहीं उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता प्रखर श्रीवास्तव टेन न्यूज से बातचीत में कहा कि कुछ तो मजबूत सबूत हैं और इसीलिए मामला दर्ज गया है। बिना किसी ठोस सबूत के ऐसे कोई मामला दर्ज नही किया जाता है।

कुल मिलाकर टेन न्यूज से बातचीत में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने जो कहा उसके मुताबिक कुछ तो ठोस सबूत हैं सीबीआई के पास और इसीलिए वह इस पूरे मामले में इतनी मजबूती से अपना पक्ष रख रही है। दूसरी बात की मामला न्यायालय में है तो जो भी सही होगा वो “दूध का दूध और पानी का पानी” हो जाएगा। और फिर कानून सबके लिए समान है तो अगर करप्शन हुआ है तो सजा निश्चित रूप से मिलेगी।।