‘वंदे मातरम्’ के प्रारूप एवं धुन पर आधारित “गंगे मातरम्” की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने की रचना

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (25 दिसंबर 2022): गंगा नदी भारत के लोगों के लिए केवल एक नदी नहीं है बल्कि उनके लिए आस्था एवं विश्वास का केंद्र है। लोगों का एक भावनात्मक जुड़ाव है मां गंगा से।

मां गंगा की इसी पवित्रता को व्याख्यायित करते हुए उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ सिविल सेवा अधिकारी एवं माध्यमिक शिक्षा के विशेष सचिव ‘कृष्ण कुमार गुप्त’ ने “वंदे मातरम्” की धुन पर एवं उसी प्रारूप पर संस्कृत में “गंगे मातरम्” की अद्भुत रचना की है।

 

बता दें कि 25 दिसंबर को राजधानी दिल्ली में कल्पना कला केंद्र के 45 वें वार्षिक उत्सव एवं पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जी के 98 वीं जन्म जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम “गंगे मातरम्, नदी या नारी” में ख्वातिप्राप्त एवं प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना कल्पना भूषण जी “वंदे मातरम्” की वास्तविक शास्त्रीय धुन पर “गंगे मातरम्” का गायन करेंगी।

“गंगे मातरम्” के रचनाकार, वरिष्ठ IAS अधिकारी एवं संस्कृत भाषा के प्रवीण विद्वान कृष्ण कुमार गुप्त ने टेन न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि ” वंदे मातरम् का तर्ज ही उत्साह भरा है। गंगा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सरकार अपना कार्य तो कर ही रही है लेकिन इस अभियान में जन जागरूकता, जागृति की बहुत आवश्यकता है। गंगा हमारे लिए बहुत उपयोगी है, नदी जलदायनी होती है, साथ ही भूगर्भीय जलस्तर बनाए रखने में सहायक होती है। हम सबों का यह धर्म बनता है कि इसे शुद्ध एवं पावन रखें।

 

साथ ही उन्होंने कहा कि गंगा के जो पर्यायवाची शब्द है हर शब्द से प्रेरणा मिलती है।”

प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना कल्पना भूषण ने टेन न्यूज से बातचीत में कहा कि” गंगे मातरम् का गायन वंदे मातरम् की जो वास्तविक धुन है उस धुन पर की जाएगी।”

कृष्ण कुमार गुप्त वरिष्ठ सिविल सेवा अधिकारी होने के साथ साथ संस्कृत एवं साहित्य में भी प्रवीण हैं। अपनी इस विलक्षण संस्कृत रचना में कृष्ण कुमार गुप्त ने मां गंगा की अद्भुत व्याख्या की है।

” गंगे मातरम्” के कुछ अंश

गंगे मातरम्! गंगे मातरम्!!
शुभ्रां धवलां सुरसरि-शीतलाम।
धरनियावनां मातरम!
गंगे मातरम्! गंगे मातरम्