टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (01/03/2022): नोएडा प्राधिकरण की मास्टर प्लान के तहत पांच स्पोर्ट्स सिटी बनने थे। इस स्पोर्ट्स सिटी के अंतर्गत हजारों फ्लैट और खेल सुविधाएं प्रस्तावित किए गए थे। नोएडा प्राधिकरण खुद स्पोर्ट सिटी परियोजना लेकर आई और अब इसे बीच में ही रोक दी है। अब बिल्डर और ग्राहक इसमें फंस गए हैं क्योंकि बिल्डर ने ग्राहकों से जमीन की रजिस्ट्री के पैसे ले लिए हैं और कई लोग पूरे पैसे भी दे चुके है अब नोएडा प्राधिकरण बिल्डर को ओसीसी नहीं दे रहा है। नोएडा प्राधिकरण का कहना है कि हमारे पास इसका अधिकार नहीं है इसलिए हम इसे लागू नहीं कर सकते हैं। जिसकी वजह से बिल्डर को झूठा बनना पड़ रहा है और ग्राहक उन्हें चोर बोल रहे हैं इन सबके लिए कौन जिम्मेदार है? वहां का बिल्डर, ग्राहक प्राधिकरण या प्रशासन?
नोएडा प्राधिकरण के मास्टर प्लान के तहत कुल पांच स्पोर्ट सिटी बनने थे और जिसमें से तीन नोएडा में बनने थे। इसके अंतर्गत हजारों फ्लैट और खेल सुविधाएं को मुहैया कराने का प्रस्ताव था लेकिन नोएडा प्राधिकरण के नए नियम लागू होने से ये परियोजना बीच में ही फंस गया है। जिसके कारण बड़े बिल्डर्स ने परियोजना को छोड़ दिया और छोटे बिल्डर्स बीच में ही फंस गए हैं। यह परियोजना पिछले तीन साल से ऐसे ही है जिस पर ना तो प्राधिकरण और ना तो उत्तर प्रदेश सरकार की नजर है।
नोएडा प्राधिकरण की मास्टर प्लान के तहत पांच स्पोर्ट्स सिटी बनने थे और इसे बनाने के लिए बड़े बिल्डरों को आवंटित किए गए थे और उन्होंने नोएडा प्राधिकरण की अनुमति से डेवलपर्स को विभाजित भूमि को उपपट्टे (sublease) पर दिया था। नोएडा प्राधिकरण ने जमीनों को उपपट्टे (sublease) पर दे दिया और उन्होंने इसके लिए शुल्क लिया उसके बाद उन्होंने बिल्डरों को बनाने के लिए मंजूरी दे दिया था। अब नोएडा प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी के ओसी/सीसी/नक्शे के संशोधन पर प्रतिबंध लगा दिया जबकि नोएडा प्राधिकरण ने खुद जमीन को पट्टे(lease) पर दिया था।
नोएडा प्राधिकरण का कहना है कि यह मामला अब मेरे हाथ में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार के हाथ में है। उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा प्राधिकरण को स्पोर्ट्स सिटी परियोजना की व्यवहार्यता पर काम करने की अनुमति दे दिया है लेकिन अभी तक प्राधिकरण से कोई जवाब नहीं आया है। साथ ही नोएडा प्राधिकरण के प्रतिबंध के बावजूद भी एक बिल्डर ने गुप्त तरीके से नक्शे की स्वीकृति ले लिया है और जिससे कि कई बड़े बिल्डर और हजारों फ्लैट खरीदार परेशान हैं। इस मामले में ना तो कोई सुन रहा और ना कोई जवाब दे रहा है जिससे कि कई बड़े बिल्डर और हजारों फ्लैट खरीदार के जमीन दांव पर लगा हुआ है। जिससे कि परियोजनाएं अटकी हुई हैं और फ्लैट खरीदार फंसे हुए हैं। जमीन के रजिस्ट्रियों के स्टांप शुल्क भी रुका हुआ है इसके कारण सरकार को कई करोड़ का नुकसान हुआ है।
बिल्डर्स को नोएडा प्राधिकरण की भूमि के ईएमआई डिफॉल्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जिसे वे ग्राहकों से बिक्री/वसूली से एकत्र नहीं कर सकता हैं और वसूली कि गई राशि लगभग 100 करोड़ से अधिक होगा। जिसके वजह से सरकार को नुकसान हुआ है और नोएडा का विकास रुक गया है। नोएडा प्राधिकरण द्वारा हजारों रोजगार उत्पन्न होने थे जो कि इस प्रोजेक्ट की वजह से रुक गया है और इसके कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष व्यापार के लाखों अवसर भी घट गए हैं।
अगर बिल्डर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ जाता है तो वहां का सीईओ उन्हें प्रताड़ित करते हैं और उनके खिलाफ ही मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। बिल्डर परेशान हो गए हैं क्योंकि परियोजना को बीच में फंसे होने के वजह से उन पर बैंकों का ब्याज बढ़ता जा रहा है और समय पर काम नहीं हो पा रहा है। वह इतने मजबूर हो गए हैं कि वह ना तो समय पर ब्याज दे पा रहे हैं और ना ही लोगों को जमीन दे पा रहे है। इन सब कारणों की वजह से ग्राहक बिल्डर को चोर बोल रहे हैं और बिल्डर को मजबूर होकर भागना पड़ रहा हैं।