By Dr. Sangeeta Sharma Adhikari
कोई भी दुख मनुष्य के
साहस से बड़ा नहीं
हारा वही जो लड़ा नहीं….
भले कितना भी बड़ा दुख हो लेकिन अपनी आखिरी सांस तक अपनी उस आखिरी हिम्मत और साहस को बचा कर रखना चाहिए जिसके बलबूते आप हैं, आपका परिवार है और जो लोग आप पर आश्रित है उन सब की हिम्मत भी आप खुद हैं।
मेरा मानना है कि हर इंसान अपने जीवन में एक बार जरूर आत्महत्या करने की सोचता है और कोशिश भी करता है। मैंने भी की थी। ऐसे हैरान मत होइए!!! शायद आप में से भी बहुतों ने की होगी लेकिन हर कोई हिम्मत से ये बात कह नहीं पाता, स्वीकार नहीं कर पाता….
शायद आप में से कुछ लोग मेरी इस बात से सहमत न भी हों। उसे गलत भी कहें लेकिन मैंने पहले ही कहा कि ये मेरा मानना आपका इससे सहमत होना जरूरी नहीं कि “हर इंसान अपने जीवन में एक बार जरूर उस दौर से गुजरता है जब वह सोचता है कि अब उसे मर जाना चाहिए लेकिन बचता वही है जिसमें हालातों से लड़ने की बहुत ताकत, बहुत शक्ति और बहुत आत्मविश्वास होता है। जो कैसे भी हालात हों लेकिन उनसे घबराता नहीं। उनसे कभी भी विचलित नहीं होता है। और मेरी नजर में, सही मायनों में असली फाइटर वही है जिसने संघर्षों को झेला, हिम्मत से उनका सामना किया और उन पर विजय पाई, न कि अपनी खूबसूरत, खुशहाल जिंदगी अपने ख़ुद ही के हाथों से गवाई…..
जैसे हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती वैसे ही हर जिंदादिल और खुश दिखने वाला चेहरा जरूरी नहीं कि भीतर से भी वो खुश ही हो… लोग समझते हैं कि वो तो हर समय गाता – बजाता रहता है, पॉजिटिविटी की बात करता है, एक साथ बहुत सारे काम कर रहा है लिखना, पढ़ना, नाचना, गाना, बजाना, नेम, फेम, परिवार, सक्सेस आदि – इत्यादि सब, सब कुछ, फ़िर वो अवसाद ग्रसित कैसे हो सकता है!!! वो दुखी कैसे हो सकता है!!!
लेकिन कोई भी ये नहीं सोचता कि हो सकता है वो इन छोटी-छोटी चीजों से, अपनी क्रिएटिविटी से, अपनी इस सकारात्मक ऊर्जा से ही अपने भीतर छिपे स्ट्रेस से, उस तनाव से लड़ने की कोशिश कर रहा हो…अपने आप को लगातार काम में झोंक कर नेगेटिविटी को अपने ऊपर हावी न होने देने के हर संभव प्रयास कर रहा हो…. ताकि वो कुछ भी ऐसा ना करें जिससे उसे और उसके परिवार को जिंदगी भर दुखों का पहाड़ झेलना पड़े, सहना पड़े।
आत्महत्या का निर्णय किसी के भी जीवन की वो चरम अवस्था होती है जब वो बहुत ही ज्यादा अवसाद, डिप्रेशन, और नकारात्मकता में घिरकर बिल्कुल टूट जाता है। उस समय उसे सही गलत उचित अनुचित अपने पराए किसी बात का कुछ भान नहीं रहता….
लेकिन फिर भी जो गलत है वो गलत है। ऐसा भी क्या कि वो एक लम्हा, वो एक इंसान आपको इतना मजबूर कर देता है कि आप अपनी जान ले लेते हैं…ये तो हद ही हो गई!!!!
यूं तो कोई आपकी जिंदगी का रिमोट हो गया कि उसने चाहा जैसे जो चैनल सेट किया आप और आप उस चैनल की अकॉर्डिंग हंसने – रोने लगे!!! एक आत्महत्या करने वाला अपने पीछे अपने परिवार, अपने बीवी – बच्चों, अपने नियर – डियर सबको रोने – बिलखने के लिए छोड़ जाता है।
इसका एक बहुत बड़ा कारण हमारे ही बीच के रिश्ते भी हैं जिन पर हम चाहकर भी भरोसा नहीं कर पाते….वो दोस्त जिन्हें आप अपना राज़दार समझकर अपने बहुत निजी और संघर्षमय क्षणों से रूबरू कराते हैं कि भले वो, उनको उन संघर्षों से बाहर निकालने में उनकी कोई मदद न कर पाए लेकिन उनका प्यार भरा हाथ और मजबूत कंधा उसे हमेशा बल देता है और उन संघर्षों में भी जीने की ताकत देता है। लेकिन जब एक दिन वही दोस्त आपके संघर्षों का मजाक उड़ाकर आपके विश्वास को तोड़ता हैं यकीनन ये सब बहुत तोड़ने वाला, बहुत अवसादपूर्ण होता है लेकिन फिर भी जीना तो है ही हर हाल में…..हमें रिश्ते बनाना ही नहीं रिश्ते निभाना भी आना चाहिए ताकि हम एक – दूसरे के साथ अपना गम बांट सकें। अपने उस दोस्त, अपने साथी की ज़िन्दगी को आसान बनाने, उसे पटरी पर लाने के हमें हर संभव प्रयास करने चाहिए।
अगर वास्तव में हमें अपनी आत्मा को बचाकर रखना है, अपनी आत्मा की हत्या नहीं करनी है तो हमें, हमेशा अपनी आत्मा की रक्षा के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। जो भी गलत आपके साथ हो रहा हो उसका विरोध, उसका प्रतिकार जिंदगी रहते ही करना चाहिए ताकि कोई भी लम्हा, कोई भी व्यक्ति आपकी और आपके परिवार की बेशकीमती जिंदगी और खुशियों पर हावी ना हो सकें, आपको मजबूर न कर सकें, अपनी आत्मा की हत्या के लिए।
तो जब तक आप जीवित हैं अपने भीतर अपने दुखों का पहाड़ मत बनाइए बल्कि उन पहाड़ों के बीच से वो रास्ता बनाइए जो समाधान लाएं। जो जिंदगी की मुश्किलों को उन खरपतवार से हालातों को समाप्त कर जिंदगी में खुशहाली लाए।
दुख, भला किस के जीवन में नहीं होता?? कौन इंसान ऐसा है जो दुखी नहीं है आज के समय में?? लेकिन इसका मतलब क्या हुआ कि सब लोग फांसी लगा लें ?? पंखे पर लटक के झूल जाएं ?? भला, ये क्या समाधान हुआ, किसी भी समस्या का ?? और वो भी सिर्फ एक 34 साल का एक स्मार्ट, हैंडसम, यंग, नौजवान, एनर्जेटिक और सक्सेसफुल बॉलीवुड स्टार जो नौजवान पीढ़ी का रोल मॉडल हो वो अगर ऐसा करे तो यंग जनरेशन पर इसका क्या असर होगा???
वैसे मन ये मानने को तैयार नहीं कि इतना जुझारू, इतना जीवट और इतना एनर्जेटिक, इंटेलिजेंट, मलटी टैलेंटेड, सक्सेसफुल हीरो ऐसे, कैसे ख़ुदख़ुशी कर सकता है!!!!! सच कुछ और ही लगता है…
हमें अभिभावक के रूप में हमेशा अपने बच्चों को बुरे से बुरे हालातों का सामना करने के बारे में बताना और सिखाना चाहिए। ये भी बताना चाहिए हर वक्त एक सा नहीं रहता। ज़रूरी नहीं कि सब तुम्हारे मनोनुकूल हो और जब वक्त बुरा आए तो कैसे धैर्य और संयम की परीक्षा होती है और कैसे उन हालातों से बाहर निकला जाता है। ये सब हमें अपने बच्चों को ज़रूर बताना – सिखाना चाहिए।
वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता ये सच है और जीवन में बहुत सारे ऐसे लम्हे आते हैं जब हम बिल्कुल निराश और हताश हो जाते हैं लेकिन यूं हारना और हारकर बैठ जाना तो कोई विकल्प नहीं और आत्महत्या तो बिल्कुल भी नहीं। इसलिए अपने आसपास जिस किसी भी रिश्ते में आप हैं, हर रिश्ते को प्रॉपर समय दीजिए, उसे प्यार दीजिए, दुलार दीजिए, स्नेह दीजिए, ढांढस बंधाइए, अपने मन की बात सुनिए – सुनाइए, अपने होने का हर पल एहसास कराइए ताकि वो आपके एहसास में कुछ पल के लिए ही सही अपना गम भूल सके।
मृत्यु अवश्यंभावी है ये हर कोई जानता है और एक दिन सबको जाना ही है लेकिन ऐसे भी जाता नहीं कोई… ऐसे जाना भी नहीं चाहिए आत्महत्या करके…. इसलिए एक दूसरे को याद करते रहिए, बात – मुलाकात करते रहिए, ताकि उसके जाने के बाद ये अफसोस न रहे कि काश बात कर ली होती उससे, उसका गम जान पाते तो शायद उसकी कुछ मदद कर पाते हम…
बहुत तेज जगमगाहट, चकाचौंध रोशनी और शोरगुल से भरी जिंदगी में भी एक वीरान, सुनसान, भयावह सन्नाटा भी होता है जिन्हें उन लम्हों में जीने वाला ही जानता और समझता है। फिर भी जब तक जिंदगानी है तब तक एक दूसरे का साथ निभाते चलें। एक दूसरे को ढांढस बंधाते चलें कि ” तुम परेशान मत होना दोस्त तुम्हारी हर परेशानी में मैं हर पल तुम्हारे साथ हूं… ”
आत्महत्या, बहुत बड़ा अपराध है जो किसी को भी कभी भी नहीं करना चाहिए ऐसा मेरा मानना है चाहे जैसे भी हालात हों और चाहे कोरोना से या किसी दूसरे रूप में जैसे भी हो इस दुनिया से तो एक न एक दिन जाना सभी को है इसलिए जितना हो सके….
संवाद कीजिए…. समय रहते एक दूसरे का हालचाल पूछते रहिए अपनी उपस्थिति का एहसास कराते रहें ताकि उसके जाने के बाद उसकी याद में फेस बुक पर पोस्ट न लिखनी पड़े… कि काश तुमसे बात कर ली होती। क्योंकि वक्त, कभी लौटकर नहीं आता और ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा।
जब कोई एक इंसान इस दुनियां से जाता है तो वो अकेला नहीं जाता उसके साथ कई – कई जानें भी चली जाती हैं।
कभी कोरोना से तो कभी किसी डिप्रेशन, आत्महत्या, लंबी बीमारी आदि – इत्यादि से हो रही मृत्यु के समाचार सुन – सुनकर मन बहुत उदास होता ही है लेकिन फिर भी हमें अपने मन पर विजय पानी है और सभी नकारात्मक चीजों को अपनी जिंदगी से दूर भगाना है। यह कोरोना काल बहुत सारी चीजों के साथ आत्महत्या और अवसाद के रूप में भी याद किया जाएगा लेकिन हिम्मत मत हारिए और अपनी सकारात्मक ऊर्जा को बनाएं और बचाए रखें। हे प्रभु सबको सद्बुद्धि दो, सबकी रक्षा करो। जाने क्या – क्या देखना बाकी है अभी….फिर भी सबसे महत्वपूर्ण है संवाद कीजिए। आपसी संवाद को अपने रिश्ते को बचाए रखें क्योंकि जिंदगी ना मिलेगी दोबारा।