राजनैतिक पार्टियों के दुशाले उतारकर पढ़े,,, अगर आप सुकमा की घटना से आहत नही है, तो ये कविता आपके लिए नही है ।
कवि अमित शर्मा
कलम बनी है वीर भगतसिंह, आज बगावत होने दो ।
फर्जी राष्ट्रवाद के चेहरों को भी आहत होने दो ।
मुँह में गाली भरी हुई, पर निर्णय ना ले पाउँगा ।
संस्कारो में बंधा हुआ हूँ, गाली ना दे पाउँगा ।
अपना देश समूचा सब्जी मण्डी बना दिया तुमने ।
बलिदानी सैनिक को आज शिखंडी बना दिया तुमने ।
सैनिक जितने मरे यंहा पर, जरा खोट मेरा भी है ।
तुम जिस दिल्ली में बैठ गए हो, एक वोट मेरा भी है ।
ये मंजर, ये मौसम सब बर्बादी जैसा लगता है ।
खुद का चेहरा भी मुझको अपराधी जैसा लगता है ।
मुझे पता है MCD की खुशी में झूल जाओगे तुम ।
हर सैनिक की विधवा, बच्चे सबको भूल जाओगे तुम ।
खुशी जीत की होगी, हर कोई भगवा लेकर दौड़ेगा ।
मफलर वाला दुष्ट ठीकरा ई.वी.एम. पर फोड़ेगा ।
बिछवे, चूड़ी, बिंदी, मंगलसूत्र यहाँ दब जाएँगे ।
इस नौटंकी में सब बलिदानी पुत्र यहाँ दब जाएँगे ।
ओ सैनिक, तुझसे कहता हूँ कि अब बंदूक उठा ले तू ।
या सीमा से घर आ जा अपना संदूक उठा ले तू ।
बी.एस.एफ. के शेर सुने, सभी बलों के जवान सुने ।
खाकी वाले जरा सुने और फौजी देश की शान सुने ।
जहाँ रहो, सतर्क रहो, ना दिल में अपने लोड रखो ।
एस.एल.आर. और ऐ.के. छप्पन, चौबीस घंटे लोड रखो ।
ना सहो किसी भी थप्पड़ को, केवल इतना कर डालो तुम ।
पूरी मेगजिन दुष्टों की छाती में भर डालो तुम ।
कायरता का अब कोई संदेश नही मानो सैनिक ।
पीछे हटने वाला भी आदेश नही मानो सैनिक ।
बंदूक उठाकर नक्सलवाद की छाती पर चढ़ जाओ तुम ।
एल.ओ.सी. की लाइन लाँघकर भी आगे बढ़ जाओ तुम ।
भारत माँ की छाती से बस ये अपवाद मिटा दो तुम ।
सीमा बाद में देखो पहले नक्सलवाद मिटा दो तुम ।
रक्त नसो का गर्म रहे, ये रक्त कभी ना ठंडा हो ।
बस्तर के हर कोने ने केवल भारत का झंडा हो ।
माओ के सारे बेटे ये करनी हरामी भूल जाए ।
इतना इनको लाल करो कि लाल सलामी भूल जाए ।
पहले उसको ठोको जो भी सरकार की बात करे ।
चंद दैत्यों के वध पर मानव अधिकार की बात करे ।
बच्चा-बच्चा मेरे देश का देने को सम्मान खड़ा है ।
हे भारत के सैनिक तेरे संग में हिंदुस्तान खड़ा है ।
— अमित शर्मा (गाँव- सैनी, ग्रेटर नोएडा)
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