UPSC CSE की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों ने हिन्दी माध्यम के छात्रों के साथ भेदभाव करने के लगाए गंभीर आरोप

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (11 जुलाई 2023): UPSC CSE की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों ने सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। जिसमें हाल ही में आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2023 को लेकर आयोग पर मनमानी करने का आरोप लगाया है।

हिंदी माध्यम के साथ भेदभाव का आरोप

बता दें मीडिया से मुखातिब होते हुए UPSC की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों ने CSAT में हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा कि “CSAT की परीक्षा में जिस तरह के गणित और अंग्रेजी के सवाल पूछे जाते हैं उससे एक खास तकनीकी पृष्ठभूमि वाले छात्रों को अधिक लाभ मिलता है। जबकि हिंदी माध्यम के मानविकी विषयों के पृष्ठभूमि वाले छात्र पिछड़ जाते हैं।”

उत्तराखंड की आयुषी ने कहा कि” CSAT में जिस स्तर के सवाल पूछे जाते हैं उसको हल करना हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए और गांव से सरकारी स्कूलों में पढ़कर आने वाले अभ्यर्थियों के लिए मुश्किल है।” वहीं सिविल सेवा की तैयारी करने वाले सुभाष ने कहा कि “UPSC जिस तरह से CSAT के पेपर को तैयार करती है उससे केवल अभियांत्रिकी, चिकित्सा एवं तकनीक पृष्ठभूमि वाले छात्रों को लाभ मिलता है जबकि मानविकी विषयों के जो छात्र हैं या फिर हिंदी माध्यम के जो छात्र हैं वो इसमें पिछड़ जाते हैं।” सुभाष ने कई उदाहरणों के साथ यह भी स्पष्ट किया कि “प्रश्नपत्र केवल अंग्रेजी भाषा में तैयार किए जाते हैं और अनुवाद करने वाले ऐप एवं अन्य यंत्र के जरिए उसका हिंदी अनुवाद किया जाता है, जिससे हिंदी में उस शब्द का मूल अर्थ ही बदल जाता है। और हिंदी माध्यम के छात्र इस पूरे परीक्षा में पिछड़ जाते हैं।”

कब -कब हुए विवादास्पद बदलाव

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा 2010 में खन्ना समिति की सिफारिश के बाद साल 2011 में पीटी का पुराना पैटर्न बदलकर CSAT को लाया गया। उस समय भी इसे लेकर देशभर में काफी विवाद हुआ जो अब भी जारी है।

2014 में जब इसके खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ तब बासवान समिति बनाई गई। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद 2015 में इसे क्वालीफाइंग बना दिया गया। अब CSAT में किसी भी अभ्यर्थी को 200 में केवल 66 अंक ही लाने हैं।

2013 में UPSC ने मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया था।

हिंदी अनुवाद है मूल समस्या

CSAT आने के बाद से ही हिंदी माध्यम के छात्रों का परिणाम लगातार नीचे गिरता चला गया। जिसके बाद से लगातार छात्र इसे हटाने की मांग कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि CSAT की परीक्षा से अंग्रेजी माध्यम के बच्चे और तकनीकी पृष्ठभूमि के बच्चों को अधिक लाभ मिलता है, जबकि हिंदी माध्यम के बच्चे पिछड़ जाते हैं। वहीं छात्रों की समस्या का एक कारण है अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद। बता दें कि CSAT का मूल प्रश्नपत्र अंग्रेजी में तैयार होता है जिसका हिन्दी में अनुवाद किया जाता है। अनुवाद में साल 2011 के बाद से ही कई गलतियां निकलकर सामने आई है, जिससे हिंदी माध्यम के छात्रों को काफी दिक्कतें होती है।

क्या है इनकी मांग

• CSAT 2023 के लिए योग्यता अंक को कम करें और 2024 में सिविल सेवा एप्टीट्यूड टेस्ट को खत्म किया जाए।

• UPSC 2019 विजन दस्तावेज की अनुशंसा के अनुसार भविष्य की सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया से CSAT को हटा दें।

• सामान्य अध्ययन में से विसंगतियों को दूर करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति की गठन करें।

• उन सभी UPSC के उम्मीदवारों को प्रतिपूरक प्रयास का अवसर दें जो कोविड -19 महामारी के दौरान पात्र थे।

• पाशर्व प्रवेश प्रक्रिया के माध्यम से भर्ती के संबंध में पारदर्शिता लाएं और सुनिश्चित करें कि सामाजिक न्याय के सिद्धांत का विधिवत पालन किया जाए।

• इस बार UPSC प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन पेपर -1और पेपर -2 में काफी कठिन सवाल पूछे गए थे। परिक्षार्थियों का कहना है कि UPSC परीक्षा में असंगत और अस्पष्ट सवाल पूछे गए, केवल अंदाजा लगाने के आधार पर उम्मीदवारों की उत्तर देने की छमता को जांचा जा रहा है, ये सब मनमाना है।

बता दें कि छात्रों का यह मामला केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में विचाराधीन है।।