क्या आप जानते हैं मिथिला का वो पुष्प वाटिका, जहां प्रभु श्री राम और माता सीता का हुआ था पहला मिलन

टेन न्यूज नेटवर्क

मिथिला (16 जून 2023): हम सबों के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का मिथिला से गहरा संबंध रहा है। ऐतिहासिक -पौराणिक शास्त्रों में भगवान श्री राम का मिथिला से अटूट संबंध होने के प्रमाण मिलते हैं। हमारी माता जनकनंदनी जानकी जो मिथिला की थी और इसीलिए मिथिला के लोग मां जानकी को धीया (बेटी) एवं प्रभु श्री राम को अपना पाहुन (दामाद) मानते हैं। आज भी मिथिला में रामायण काल के कई ऐसे स्थल मौजूद हैं जिनका संबंध सीधे तौर पर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम एवं मां जानकी से है।

मिथिला की महिलाएं देती है गालियां

बता दें कि मिथिला पूरे पृथ्वी पर एकमात्र ऐसी प्रांजल, पावन और पुण्य धरा है जहां की महिलाओं ने प्रभु श्री राम को गालियां भी दी है और आजतक देती हैं। मिथिला में विवाह के दौरान कन्या पक्ष की महिलाओं के द्वार दूल्हा पक्ष को गाली देने की परंपरा है। इसीलिए जब प्रभु श्री राम दूल्हा बनकर मिथिला पहुंचे तो वहां की महिलाओं ने खूब गालियां सुनाई।आज भी मिथिलांचल में विवाह में दुल्हन को मां सीता और दूल्हा को प्रभु श्री राम का प्रतिमूर्ति माना जाता है और वहां की हजारों लोकगीतों और विवाह के गीतों में इसका वर्णन मिलता है।

आज भी है वो पुष्पवाटिका जहां मिले थे प्रभु राम और मां सीता

रामायण के अनुसार प्रभु श्री राम और जनकनंदनी मां जानकी का पहला मिलन जिस पुष्प वाटिका में हुआ था। वह वाटिका आज भी है, बिहार के मधुबनी जिले के हरलाखी प्रखंड में फुलहर के नाम से यह वाटिका प्रसिद्ध है। मिथिला के लोग आज भी पूरी निष्ठा एवं श्रद्धा से इन स्थानों में पूजा करते हैं और स्वयं के मैथिल होने पर गर्व की अनुभूति करते हैं।

इन स्थानों का है सीधा संबंध

रामायण में वर्णित कई ऐसे स्थल आज भी मिथिला में हैं जिनका सीधा संबंध प्रभु श्री राम और मां जानकी से है। जैसे फुलहर, गिरिजा स्थान, क्लानेश्वर स्थान, विश्वामित्र आश्रम आदि प्रमुख स्थल हैं

प्रभु श्री राम ने की मिथिला यात्रा

बता दें कि प्रभु श्री राम ने मिथिला की यात्रा भी की है। जनक के सुंदर सदन की कथा प्रचलित है कि त्रेता युग में ताड़का, सुबाहु, असुर के वध के पश्चात संत विश्वामित्र प्रभु श्री राम, लक्ष्मण के साथ राजा जनक के धनुष यज्ञ में शामिल होने के लिए मिथिला की यात्रा की थी। राजा जनक इन सभी लोगों का विशौल गांव में ठहरने का प्रबंध किया था, वर्तमान में यह स्थान विश्वामित्र आश्रम के नाम से विख्यात है।

सरकार की उदासीनता से नाराज हैं स्थानीय लोग

हालाकि जहां एकतरफ प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तो वहीं जनकनंदनी जानकी धाम का खस्ताहाल है। स्थानीय लोग मिथिला को लेकर सरकार की उदासीनता पर काफी नाराज हैं और समय समय पर अपना आक्रोश भी व्यक्त करते रहते हैं।

स्थानीय निवासी बासुकी वत्स ऊपाख्य प्रशांत रंजन ने टेन न्यूज संवाददाता रंजन अभिषेक से बातचीत में कहा कि “राज्य सरकार मिथिला को लेकर काफी उदासीन है। राज्य सरकार की उदासीनता के कारण मिथिला के सभी धरोहर धीरे धीरे खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। फुलहर स्थान, क्लानेश्वर स्थान, विश्वामित्र आश्रम ये सब ऐसे स्थान हैं जो मिथिला की विरासत है , धरोहर है और साथ ही मिथिला के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा भी। लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण ये सभी पवित्र स्थान अब धीरे धीरे खंडहर हो रहे हैं।”

पर्यटन क्षेत्र में है अपार संभावनाएं: मनीष सिंह यादव

स्थानीय पत्रकार एवं समाजसेवी मनीष सिंह यादव ने टेन न्यूज के संवाददाता रंजन अभिषेक से बातचीत में कहा कि ” निश्चित रूप से यह सरकार की उदासीनता है जिस कारण से मिथिला के धरोहर अब नष्ट होते जा रहे हैं। अन्यथा जिस तरह से उत्तर प्रदेश में सरकार प्रभु श्री राम की नगरी को सजाकर धर्म, आध्यात्म और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर रही है। जहां से भविष्य में काफी रेवेन्यू भी अर्जित होगा। वैसे ही मिथिला के इन तमाम पवित्र स्थलों को भी यदि सरकार एक योजनाबद्ध तरीके से विकसित करे तो यह भविष्य में धर्म एवं दर्शन और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में तो विकसित होगा ही साथ ही रेवेन्यू उपार्जन का भी एक उत्तम साधन होगा।”