राजधानी में गंदगी के ढेर पर बने मोहल्ला क्लीनिकों में तैनात चिकित्सक भी बीमार हैं। नौकरी जाने के डर से मजबूरी में सुबह-शाम मोहल्ला क्लीनिकों में हाजिरी लगाने जा रहे हैं, लेकिन चाह कर भी सरकार से अपना दर्द बयां नहीं कर पा रहे हैं। यमुनापार में तो हालात यहां तक खराब हैं कि कुछ मोहल्ला क्लीनिक तो आवारा पशुओं की आरामगाह बने हुए हैं।
उप मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र के मंडावली तालाब चौक स्थित मोहल्ला क्लीनिक का सबसे ज्यादा बुरा हाल है। मोहल्ला क्लीनिक गंदगी के टापू पर बना हुआ है। क्लीनिक के सामने गंदा पानी भरा है वहीं बराबर में आवारा पशुओं को झुंड लगा रहता है। यहां पर मरीज तो दूर डॉक्टर तक आना पसंद नहीं करते। अगर मरीज मोहल्ला क्लीनिक में आते भी है तो जितनी तेजी से आते हैं उससे अधिक तेजी से बाहर निकल जाते हैं। डॉक्टर मरीज को ठीक ढंग से देखे बिना ही उनके हाथ में दवा पकड़ा देते हैं।
क्लीनिक के आसपास रहने वाले लोगों ने कहा कि सरकार को पता था जिस जगह क्लीनिक बनाया जा रहा है, वहां पर गंदगी अधिक रहती है, लेकिन इसके बाद भी मोहल्ला क्लीनिक उसी स्थान पर खोला गया। मोहल्ला क्लीनिक के सामने बारिश आने से गंदे पानी का तलाब बन गया है, जिसमें मच्छर पनप रहे हैं।
हर किसी को अपने स्वास्थ्य की चिंता होती है तो डॉक्टर को क्यों नहीं होगी। मोहल्ला क्लीनिक के निर्धारित समय से पहले ही डॉक्टर क्लीनिक से चले जाते हैं। यह स्थिति पिछले एक वर्ष से जस की तस बनी हुई है। वहीं कुछ ऐसा ही हाल वजीराबाद रोड स्थित गोकलपुर गांव के पास बन रहे मोहल्ला क्लीनिक का है। क्लीनिक कूड़े के ढेर पर बन रहा है। गांव के लोगों का कहना है गंदगी में कोई व्यक्ति कैसे स्वस्थ रह सकता है, लोगों ने विरोध भी किया था, लेकिन सरकार ने उसे अनदेखा कर दिया।