टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (07/04/2023): हनुमान जयंती के मौके पर परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने टेन न्यूज़ नेटवर्क से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम सबको अपनी संस्कृति के हनुमान बनने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने युवाओं को मैसेज दिया है और पर्यावरण को बचाएं रखना की बात कही।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि “आज भारत में एक ही चीज की आवश्यकता है कि हम सब अपनी संस्कृति के हनुमान बने। देश हमें देता है सब कुछ अब हम भी तो कुछ देना सीखे” एक ही काम है कि हम अपने वतन के लिए; अपने वतन के चमन को बनाए रखने के लिए; और अपने देश में शांति बनी रहे इसके लिए सबको अपना-अपना पाठ, अपना टाइम, अपना टैलेंट, अपनी टेक्नोलॉजी, अपनी टेनासिटी सब को समर्पित भाव से भगवान राम के लिए हनुमान जी ने किया वैसे ही हमें देश के लिए करना है।”
उन्होंने कहा कि “राम मंदिर तो बन रहा है ये केवल राम मंदिर नहीं है राष्ट्र मंदिर है। राम मंदिर में हनुमान जी की सेवा और उस राष्ट्र मंदिर में हम सबको हनुमान बनकर सेवा करनी है। हमारा देश, सचमुच पूरे विश्व को इसकी तलाश है। लोग आज भी भारतीय संस्कृति को, भारतीय संस्कारों को ढूंढ रहे हैं। उससे पहले हमें अपने घर में जीना होगा, अपने दिल में जीना होगा, हर घर में ध्यान और हर दिल में ध्यान, ये तभी होगा जब हम अपने जीवन में उसको जीएंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि “इसलिए हनुमान जी ने क्या किया?श्री राम जी का ध्यान किया। भगवान श्रीराम ने अपने लक्ष्य “धर्म की रक्षा, अपनी संस्कृति और संस्कारों की रक्षा” को प्राप्त करने के लिए अपनी अयोध्या को भी त्यागना पड़ा तो त्याग दिया क्योंकि मर्यादा कि बात थी, वचन की बात थी, पिता की प्रतिज्ञा पालन की बात थी।”
उन्होंने युवाओं को मैसेज देते हुए कहा कि “मोबाइल में इतने मत खो जाओ कि अपने मां बाप ही कवरेज से बाहर हो जाएं और यही हो रहा है। फेसबुक चाहिए लेकिन फेश योर ओन बुक, इंटरनेट चाहिए लेकिन इनर नेट भी चाहिए।हनुमान जयंती के अवसर पर भक्ति और शक्ति का संगम हो, प्राचीनता और आधुनिकता का संगम हो, इंटरनेट और इनर नेट का संगम हो तभी काम बनेगा तभी शांति बची रहेगी।”
उन्होंने पर्यावरण के बारे में कहा कि “पर्यावरण को बचाएं रखना सबसे ज्यादा जरूरी है क्योंकि पर्यावरण बचेगा तो आने वाली पीढ़ियां बचेगी। इसके लिए पेड़ लगाना, पानी को बचाना, सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करना और वर्षा के जल को सहेजना जरूरी है क्योंकि पानी को बना तो नहीं सकते हैं लेकिन बचा तो सकते हैं। बस मिलकर अपनी धरती को बचाएं।”
आगे कहा कि “हनुमान जी ने अपने क्रिएटर की पूजा की और आज हम क्रिएटर के साथ-साथ क्रिएशन को भी बचा कर रखें तो ये हनुमान जन्मोत्सव का सबसे बड़ा भेंट होगा।”