राजधानी में एकजुट हुआ विपक्ष, समाजिक न्याय और जातिगत जनगणना पर चर्चा। ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (04 अप्रैल 2023): राजधानी दिल्ली के न्यू महाराष्ट्र सदन में सोमवार को “ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस” के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर सभी विपक्ष के बड़े नेता हुए एकजुट। बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन की अगुवाई में विपक्ष के तमाम बड़े नेता और कई न्यायधीश, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ताओं ने एक मंच पर सामाजिक न्याय के मुद्दे को प्रखरता पूर्वक उठाया।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ लक्ष्मण यादव जूम मीटिंग के माध्यम से जुड़े। वहीं आरजेडी राज्यसभा सांसद मनोज झा, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, सीपीआई महासचिव डी.राजा, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्यसभा सांसद पी. विल्सन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में मौजूद सभी वक्ताओं एवं अतिथियों ने “सामाजिक न्याय” को लेकर अपनी बात कही। न्यायमूर्ति वी. ईश्वरैया ने अपने संबोधन में कहा कि ” यह अद्भुत संयोग है कि ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती पर हो रहा है, जो हिंदू तिथि के अनुसार 10 मार्च को पड़ता है। अपनी तरफ से इस पहले प्रयास को आगे बढ़ाया जाना चाहिए, उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को सभी को एकजुट करके सामाजिक रूप से उत्पीड़ित उत्थान के लिए बधाई दी। “हम न्यायपालिका और प्रशासन में सही और उचित प्रतिनिधित्व निर्धारित करने के लिए जातिगत जनगणना की मांग करते हैं। बिहार सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए सभी राज्यों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जाति की जनगणना करने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने आरक्षण देते समय क्रीमी लेयर की अवधारणा का पालन नहीं करने और राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की अवधारणा को अनुमति नहीं देने के लिए तमिलनाडु की भी सराहना की। उन्होंने निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी आरक्षण की मांग की। ईडब्ल्यूएस कोटा ओबीसी और एससी, एसटी के लिए भी बढ़ाया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि 5% की आबादी के लिए, केंद्र सरकार ने 10% ईडब्ल्यूएस कोटा की पेशकश की है।

JKNC नेता फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि ” वर्षों से वंचित लोगों को उस गरीबी से बाहर लाने और बेहतर जीवन देने की जरूरत है। इसके लिए हमें एकजुट होना होगा। जब तक हम एकजुट होकर केंद्र में सरकार नहीं बनाएंगे, ये लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते। स्टालिन ने अद्भुत काम किया है और पेरियार, अन्ना और उनके पिता करुणानिधि की विरासत को जारी रखा है। हम स्टालिन के पीछे हैं, और हमें यह देखने के लिए एकजुट रहना चाहिए कि भविष्य सभी के लिए उज्ज्वल और समृद्ध हो। हमें इस समय भारत के सामने जो त्रासदी है, उससे बाहर निकलना होगा।”

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जूम मीटिंग के जरिए इस सम्मेलन में भाग लेते हुए कहा कि” सामाजिक न्याय के संघर्ष में हमें कई मंजिले हासिल हुई, लेकिन अभी महत्वपूर्ण मुकाम बाकी है। इसी के मद्देनजर बिहार में हमारी सरकार ने जातियों की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों के लिए जाति आधारित सर्वेक्षण प्रारंभ किया है।”

तेजस्वी ने आगे कहा कि” मेरी अपील है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी शासित राज्य भी ऐसा करेंगे तो बेहतर समन्वय होगा। आज भी विपक्ष शासित राज्यों में ओबीसी का 27% आरक्षण सही से लागू नहीं हो पाया है, जो हम सभी के लिए सामूहिक चिंता का विषय है। झारखंड में हेमंत सोरेन और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने 27% आरक्षण के लिए विधानसभा में कानून पारित किया लेकिन राज्यपाल उनको अटका कर रखे हैं। भाजपा शुरू से ही आरक्षण और पिछड़ा विरोधी रही है।”

राजद नेता मनोज झा ने कहा कि ” हम कोई आसमान से चांद तोड़ने की बात नहीं कह रहे हैं। नीतियां होती है आखिरी बार 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी, जिसके बाद दो नए मुल्क बन गए बंगलादेश और पाकिस्तान। क्या ये कहीं वैज्ञानिक नहीं है, हम आंकड़ों की बात करते हैं तो सरकार डर जाती है। हमने अपनी पार्टी की तरफ से कहा है If No Cast Census No Census .”

डीएमके सांसद पी. विल्सन ने अपने संबोधन में कहा कि ” ऐसी ताकतें हैं जो न केवल सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के उत्थान को रोकने की कोशिश कर रही हैं, बल्कि अब तक हुई प्रगति को भी उलट रही हैं। ईडब्ल्यूएस आरक्षण की आड़ में सामाजिक रूप से अगड़ी जाति के समुदायों को आरक्षण देना उक्त बलों द्वारा उठाया गया ऐसा ही एक कदम है।

थलाइवर एम.के.सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई को एक एकजुट, अखिल भारतीय प्रयास होना चाहिए, इस बात को स्वीकार करते हुए स्टालिन ने पिछले साल 74वें गणतंत्र दिवस पर समान विचारधारा वाले नेताओं को एकजुट करने के लिए एक मंच के रूप में सामाजिक न्याय के लिए अखिल भारतीय महासंघ की स्थापना का बिगुल बजाया। सामाजिक न्याय और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने, उसकी रक्षा करने और आगे बढ़ाने के लिए देश भर के राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज के सदस्य चर्चा करने, और आदान-प्रदान करने के लिए एक साथ आते हैं। उन्होंने पिछले साल राजनीतिक दलों के सभी नेताओं को पत्र लिखकर सामाजिक न्याय के लिए अखिल भारतीय संघ के गठन की जानकारी दी और उन्हें महासंघ में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। दो साल पहले, हमारे नेता माननीय एम के स्टालिन के मार्गदर्शन में डीएमके ने मेडिकल और डेंटल सीटों में ओबीसी आरक्षण के लिए अदालतों में लड़ाई लड़ी और कोर्ट के माध्यम से हमने ओबीसी के लिए 27% आरक्षण हासिल किया। नतीजतन, हर साल 4022 एमबीबीएस सीटें और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में लगभग 1000 सीटें पूरे भारत में ओबीसी छात्रों के लिए उपलब्ध हैं। प्रोन्नति में भी ओबीसी आरक्षण को शामिल करने की आवश्यकता है क्योंकि ओबीसी के सेवा में आने के बाद भी सामाजिक बहिष्कार जारी है। इसलिए, पिछड़े वर्गों का कम प्रतिनिधित्व होने पर पदोन्नति पदों में भी आरक्षण प्रदान करने के लिए अनुच्छेद 16 (4ए) में संशोधन करने की आवश्यकता है। सामाजिक न्याय के महान योद्धाओं की विरासत अगली पीढ़ी को सौंपी जानी चाहिए। तमिलनाडु में, हमारे श्री उधयनिधि स्टालिन, मंत्री और डीएमके यूथ विंग के सचिव हैं, जो आज की पीढ़ी को पेरियार और अन्य सामाजिक न्याय के नेताओं के संघर्षों के बारे में शिक्षित करने के लिए सक्रिय रूप से अध्ययन मंडलियों को बढ़ावा दे रहे हैं। अगली पीढ़ी में सामाजिक न्याय मूल्यों का समावेश सर्वोपरि है।

सामाजिक न्याय को लेकर अपनी बात रखते हुए आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि “राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बहस शुरू करने के लिए डीएमके और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को बधाई।

जाति जनगणना केंद्र सरकार द्वारा की जानी है, और AAP पूरी तरह से प्रस्ताव का समर्थन करती है, उन्होंने कहा और बिहार में आरएसएस नेता मोहन भागवत के बयान पर आपत्ति जताई कि आरक्षण व्यवस्था को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अपनाए जा रहे क्रोनी कैपिटलिज्म की भी आलोचना की।

बता दें कि दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में आयोजित “ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस” के प्रथम वार्षिक सम्मेलन में विपक्ष के कई दिग्गज नेता शामिल हुए। सबों ने सामाजिक न्याय की बात की और साथ ही जातिगत जनगणना की वकालत करते दिखे सभी नेता।।