टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (02/03/2023): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बृहस्पतिवार को इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात की। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली की प्रधानमंत्री का स्वागत किया है। साथ ही उन्होंने भारत और इटली के बीच एक ‘स्टार्टअप ब्रिज’ की स्थापना की घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि “इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी की पहली भारत यात्रा पर उनका और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करता हूं। पिछले वर्ष के चुनावों में इटली के नागरिकों ने उन्हें प्रथम महिला एवं सबसे युवा पीएम के तौर पर चुना। इस एतिहासिक उपलब्धि पर मैं उन्हें और देशवासियों की ओर से शुभकामनाएं देता हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “इस वर्ष भारत और इटली अपने द्विपक्षीय संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं और इस अवसर पर हमने भारत-इटली साझेदारी को सामरिक भागीदारी का दर्जा देने का निर्णय लिया है। हमने अपने आर्थिक संबंधों को और सुदृढ़ करने पर जोर दिया है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “भारत और इटली के बीच एक स्टार्टअप ब्रिज की स्थापना की आज घोषणा हो रही है, जिसका हम स्वागत करते हैं। हमने दोनों देशों की सेनाओं के बीच नियमित रूप से संयुक्त एक्सरसाइज और ट्रेनिंग कोर्स आयोजित करने का निर्णय लिया है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “यूक्रेन संघर्ष के शुरुआत से ही भारत ने यह स्पष्ट किया है कि इस विवाद को केवल संवाद और कूटनीति के ज़रिए ही सुलझाया जा सकता है। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “हम इंडो-पैसिफिक में इटली की सक्रीय भागीदारी का भी स्वागत करते हैं। यह बहुत ख़ुशी की बात है कि इटली ने इंडो पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव में शामिल होने का निर्णय लिया है।”
तो वहीं इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि “हमारे भव्य स्वागत के लिए मैं PM और भारत का धन्यवाद करती हूं। यह हमारी मित्रता का सबूत है कि हम द्विपक्षीय संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं। हमने हमारे संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए तय किया है कि हम हमारी साझेदारी को सामरिक साझेदारी में बदलेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि “हमने भारत प्रशांत महासागर पहल के लिए विचार करने का फैसला किया है और हमने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि हम अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में विश्वास करते हैं, जो संप्रभुता और कुल अखंडता के नियमों पर आधारित होना चाहिए।”