टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (07/02/2023): दिल्ली में एमसीडी चुनाव के बाद मेयर चुनाव पर घमासान जारी है। लगातार तीसरी बार मेयर के चुनाव टाल दिए गए हैं जिसे लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी में सियासी जुबानी जंग तेज हो गई है। इस बीच दोनों पार्टियां अलग-अलग मोर्चों पर प्रदर्शन कर रही है भाजपा आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहरा रही है तो आम आदमी पार्टी बीजेपी को जिम्मेदार बता रही है।
कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली के अंदर बीजेपी और आम आदमी पार्टी मिलकर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली नगर निगम चुनाव होने के दो महीने बाद भी आम आदमी पार्टी और भाजपा की सत्ता हथियाने की नूरा कुश्ती के कारण मेयर चुनाव नही हो पाने से दिल्ली नगर निगम निगम संवैधानिक संकट उत्पन्न होने जा रहा है, जिसके लिए दोनो बराबर की जिम्मेदार हैं।
भाजपा और आम आदमी पार्टी सदन की सत्ता की अलोकतांत्रिक लड़ाई का कांग्रेस विरोध करती है क्योंकि दिल्ली की जनता के हितों का नुकसान हो रहा है। भारद्वाज ने कहा कि संशोधित डीएमसी एक्ट के तहत संवैधानिक तरीके से यदि एल्डरमैन को मेयर चुनाव में वोटिंग अधिकार है तब आम आदमी पार्टी इसका विरोध क्यों कर रही है।
यदि उन्हें अधिकार नही है तो आम आदमी पार्टी ने 26 जनवरी को जब सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी कि तब उन्होंने एल्डरमैन के वोटिंग अधिकार के विरोध में अपनी बात सुप्रीम कोर्ट में क्यों नही रखी और बिना कारण 4 दिन पहले इन्होंने अपनी याचिका वापस क्यों ले ली। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनो एक दूसरे पर पार्षदों की खरीद फरोख्त का आरोप लगा रहे है जिससे यह बात सिद्ध होती है कि दोनो दल पैसे के दम पर खरीद फरोख्त में लिप्त हैं और इनके पार्षद भी बिकने को तैयार हैं। क्योंकि चुनाव से पूर्व उम्मीदवारों ने टिकट भारी रकम देकर लिए थे। उन्होंने कहा कि टिकट बेचने में आप पार्टी के लोग रंगे हाथों भी पकड़े गए थे।
अनिल भारद्वाज ने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ सदन और सड़कों पर गुंडा गर्दी कर मेयर चुनाव नही होने दे रही है जिससे निगम में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न होने जा रही है। निर्वाचित पार्षद शपथ के 30 दिनों के अंदर उन्हें अपना संम्पति ब्यौरा महापौर को देना होगा यदि 24 फरवरी तक यदि भाजपा और आम आदमी पार्टी में गतिरोध उत्पन्न रहने के कारण मेयर चुनाव नही होता है, तो कानूनी रुप से पार्षद स्वतः ही अयोग्यता का कारण बन जाऐंगे। क्योंकि 24 जनवरी को पार्षदों को शपथ दिलाई गई थी।।