टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली, (20/09/2022): कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 17 सितम्बर को महाराष्ट्र के पुणे में एक किसान दशरथ लक्ष्मण केदारी ने प्रधानमंत्री मोदी जिम्मेदार ठहराते हुए आत्महत्या कर लिया। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा- मोदी साहेब, आप बस अपने बारे में सोचते हैं।हमारे पास पैसे नहीं, साहूकार इंतजार करने को तैयार नहीं, हम क्या करें?आज मैं आपकी निष्क्रियता के चलते आत्महत्या करने को मजबूर हूं। हमें फसलों की कीमत दें, ये हमारा अधिकार है। और इसके बाद केदारी ने जान दे दी।
केसरी ने साफ तौर पर मोदी जी और सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने MSP से लेकर लोन रिकवरी एजेंटों से जुड़ी प्रताड़ना को भी साझा किया है। पर खेती से जुड़ी समस्याओं और मोदी सरकार की उदासीनता को लेकर किसानों का यह दर्द और आत्महत्या का मामला कोई पहली बार सामने नहीं आया है।
2021 में कृषि क्षेत्र से जुड़े कुल 10,881 लोगों ने आत्महत्या की जो देश में कुल आत्महत्या (1,64,033) का 6.6 प्रतिशत है। ध्यान से सुनिएगा – हर रोज़ 30 किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं – मतलब हर घंटे पर एक से ज़्यादा आत्महत्या सीधे तौर पर पिछले साल दिन के हर घंटे 1 से ज़्यादा किसान ने अपनी जान दी – हर घंटे 1 अन्नदाता ने आत्महत्या की। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से लेकर 2021 तक भारत में 53,881 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है – मतलब 21 किसान रोज़ हताश और निराश हो कर अपनी जान लेने पर मजबूर हैं।
सुप्रिया ने कहा कि किसानों की इस दयनीय स्थिति के बावजूद मोदी जी तमाशे में और अपने झूठे महिमा मंडन में व्यस्त हैं। जब कुछ नहीं चल रहा तो चीता चीता चीख रहे हैं । मोदी जी जागिए और देखिए देश में खेती करने वालों की क्या स्थिति है। और सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि इस साल तो मोदी जी किसानों की आय दोगुनी करने वाले थे – आज देश के किसान की औसत आय दिन के मात्र 27 रुपए है।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा लेकिन मुझे रत्ती भर भी हैरानी नहीं हुई कि मोदी जी को इन आत्महत्याओं से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। याद रखिएगा, यह वही प्रधानमंत्री हैं जिनकी ज़िद्द और अहंकारी के चलते 700 किसानों की शहादत हुई – एक साल तक किसान सड़कों पर बैठे रहे – और मोदी जी ने संवैधानिक पद पर बैठे हुए एक व्यक्ति से कहा था “मुझे क्या – मेरे लिए तो जान थोड़ी ही दी है”
किसानों के ख़िलाफ़ मोदी के षड्यंत्र है यह वही मोदी सरकार है जिसने अपने पूँजीपति मित्रों के लिए किसानों के ख़िलाफ़ तीन काले क़ानून बना कर देश पर थोपे थे और फिर वापस लेने पड़े थे। इसी मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि किसान को लागत का 50% ऊपर MSP देने से लागत मार्केट बिगड़ जाएगा। इसी मोदी सरकार ने राज्यों को MSP के ऊपर किसानों से ख़रीद करने के ख़िलाफ़ बक़ायदा लिख कर धमकाया था और कहा था कि अगर MSP के ऊपर ख़रीद हुई तो केंद्र सरकार अनाज नहीं लेगी।
इसी मोदी सरकार ने डीज़ल का दाम बेतहाशा बढ़ाया, खाद पर 5%, कीटनाशक par 18% कृषि उपक्रमों पर 12% और ट्रैक्टर 18% GST लगा कर खेती की लागत को 25,000 रु. प्रति हेक्टेयर करके किसानों को लूटा है। इसी मोदी सरकार ने लगातार कृषि बजट का प्रतिशत कुल बजट में कम किया है (2019-20 में कुल बजट का 4.68% कृषि बजट का हिस्सा था जो इस साल 2022-23 में मात्र 3.14% है) और बीते 3 सालों में 67,000 करोड़ कृषि बजट के खर्च ही नहीं किए सरेंडर कर दिए।
NSSO ने हाल ही में जारी रिपोर्ट में बताया था कि किसानों की औसत आमदनी 27 रु. प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज 74000 रु. हो गया है। कृषि में पीछे से निजी क्षेत्र को घुसाया जा रहा है।काले क़ानून तो वापस करने पड़े लेकिन हालिया खबरों के मुताबिक़ अब पीछे के दरवाज़े से निजी पूँजीपतियों को खेती की बागडोर देने का फ़ैसला किया जा रहा है। मोदी सरकार जल्द ही अनाज खरीद में प्राइवेट कंपनियों को शामिल करेगी, अभी FCI और राज्य सरकार की एजेंसियां अनाज ख़रीदती हैं। यह आप मुझसे बेहतर जानते हैं कि कौन से वो मोदी जी के एक परम प्रिय पूँजीपति मित्र हैं जिनको इसका सीधा फ़ायदा होगा।
किसान सम्मान निधि के नाम पर 6,000 रु. साल देने का स्वांग रचने वाली मोदी सरकार अमीरों के 12 लाख करोड़ रुपये के क़र्ज़े माफ़ करती है – लेकिन किसानों को क़र्ज़े के ताले दब कर आत्महत्या के लिए मजबूर करती है। अंत में यह बताना ज़रूरी है कि यह वही सरकार है जिसके सांसद ने सदन में झूठ कहा था कि 2014 के बाद किसी भी किसान ने आत्महत्या नहीं की- जबकि असलियत यह है कि। 21 किसान रोज़ आत्महत्या कर रहे हैं जागिए मोदी जी, कब तक आँखों पर पट्टी बांधे रखिएगा – यह किसान सीधे आपको ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं – क्या इनकी जान का कोई मूल्य नहीं है।।