⛺जब आंख खुली तो अम्मा की
⛺गोदी का एक सहारा था
⛺उसका नन्हा सा आंचल मुझको
⛺भूमण्डल से प्यारा था
🌹उसके चेहरे की झलक देख
🌹चेहरा फूलों सा खिलता था
🌹उसके स्तन की एक बूंद से
🌹मुझको जीवन मिलता था
👄हाथों से बालों को नोंचा
👄पैरों से खूब प्रहार किया
👄फिर भी उस मां ने पुचकारा
👄हमको जी भर के प्यार किया
🌹मैं उसका राजा बेटा था
🌹वो आंख का तारा कहती थी
🌹मैं बनूं बुढापे में उसका
🌹बस एक सहारा कहती थी
🌂उंगली को पकड. चलाया था
🌂पढने विद्यालय भेजा था
🌂मेरी नादानी को भी निज
🌂अन्तर में सदा सहेजा था
🌹मेरे सारे प्रश्नों का वो
🌹फौरन जवाब बन जाती थी
🌹मेरी राहों के कांटे चुन
🌹वो खुद गुलाब बन जाती थी
👓मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
👓इक रोग प्यार का ले आया
👓जिस दिल में मां की मूरत थी
👓वो रामकली को दे आया
🌹शादी की पति से बाप बना
🌹अपने रिश्तों में झूल गया
🌹अब करवाचौथ मनाता हूं
🌹मां की ममता को भूल गया
☝हम भूल गये उसकी ममता
☝मेरे जीवन की थाती थी
☝हम भूल गये अपना जीवन
☝वो अमृत वाली छाती थी
🌹हम भूल गये वो खुद भूखी
🌹रह करके हमें खिलाती थी
🌹हमको सूखा बिस्तर देकर
🌹खुद गीले में सो जाती थी
💻हम भूल गये उसने ही
💻होठों को भाषा सिखलायी थी
💻मेरी नीदों के लिए रात भर
💻उसने लोरी गायी थी
🌹हम भूल गये हर गलती पर
🌹उसने डांटा समझाया था
🌹बच जाउं बुरी नजर से
🌹काला टीका सदा लगाया था
🏯हम बडे हुए तो ममता वाले
🏯सारे बन्धन तोड. आए
🏯बंगले में कुत्ते पाल लिए
🏯मां को वृद्धाश्रम छोड आए
🌹उसके सपनों का महल गिरा कर
🌹कंकर-कंकर बीन लिए
🌹खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
🌹आभूषण तक छीन लिए
👑हम मां को घर के बंटवारे की
👑अभिलाषा तक ले आए
👑उसको पावन मंदिर से
👑गाली की भाषा तक ले आए
🌹मां की ममता को देख मौत भी
🌹आगे से हट जाती है
🌹गर मां अपमानित होती
🌹धरती की छाती फट जाती है
💧घर को पूरा जीवन देकर
💧बेचारी मां क्या पाती है
💧रूखा सूखा खा लेती है
💧पानी पीकर सो जाती है
🌹जो मां जैसी देवी घर के
🌹मंदिर में नहीं रख सकते हैं
🌹वो लाखों पुण्य भले कर लें
🌹इंसान नहीं बन सकते हैं
✋मां जिसको भी जल दे दे
✋वो पौधा संदल बन जाता है
✋मां के चरणों को छूकर पानी
✋गंगाजल बन जाता है
🌹मां के आंचल ने युगों-युगों से
🌹भगवानों को पाला है
🌹मां के चरणों में जन्नत है
🌹गिरिजाघर और शिवाला है
🌹हर घर में मां की पूजा हो
🌹ऐसा संकल्प उठाता हूं
🌹मैं दुनियां की हर मां के
🌹चरणों में ये शीश झुकाता हूं…