टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (25/08/2022): राजधानी दिल्ली में एक छोटी सी पहाड़ी पर बसा कालकाजी मंदिर अत्यधिक प्राचीनतम और पवित्र मंदिर माना जाता है। कालकाजी मंदिर को ‘जयंती पीठा’ या मनोकामना सिद्ध पीठा’ भी कहा जाता है। जो काली माता की अवतार हैं, मन्दिर के प्रति लोगों की यह मान्यता है कि कालकाजी मंदिर जो भक्त मन में सेवाभाव और श्रद्धा की भावना लेकर आते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है।
रोज़ाना कालकाजी मंदिर में लाखों लोग दुनिया के हर कोने से माता के दर्शन के लिए आते हैं, और माता के दरबार से अपनी मन मांगी मुराद पाते हैं। खासकर नवरात्र के अवसर पर माँ के दर्शन के लिए घंटों तक भक्तजन माता की भजन आरती गाते हुए लम्बी लाइनों में इंतज़ार करते हैं। और माता के दर्शन कर प्रसाद चढ़ाकर माता के चरणों में अपना शीश झुकाते हैं, और माँ का आशीर्वाद लेते हैं।
टेन न्यूज नेटवर्क के साथ कालकाजी मंदिर के मुख्य पुजारी आशुतोष शर्मा ने कालकाजी मंदिर की मान्यता के बारे बताते हुए कहा कि कालकाजी मंदिर का इतिहास आठ हजार वर्ष से अधिक पुराना है, और कालकाजी मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि जब पांडव अपनी महाप्रयाण यात्रा के लिए जा रहे थे। तब पांडवों ने कालकाजी मंदिर में आकर माथा टेका और अपनी महाप्रयाण यात्रा कालकाजी मंदिर से शुरू की।
कालकाजी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, और इसको पहाडो वाली माता भी कहा जाता है। क्योंकि इसका उद्गम पहाड़ों से हुआ है ।
आगे पुजारी आशुतोष शर्मा ने बताया कि कालकाजी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है कालकाजी मंदिर में कोई मूर्ति लाकर यहां स्थापित नहीं की बल्कि पहाड़ों से इसका उद्गम हुआ है इसलिए इसको पहाडो वाली माता भी कहा जाता है। और पहले मंदिर के आसपास का इलाका नेहरू प्लेस व ग्रेटर कैलाश भी पहाड़ी इलाका था, इसमें माता कालकाजी प्रकट हुई थी। माता के यहां प्रकट होने के बाद लोगों का यहां आना शुरू हुआ। और रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु कालकाजी मंदिर में आते हैं और माता सभी भक्तों की मन मांगी मुराद पूर्ण करती है।
आगे बताया कि समय जैसे जैसे बितता गया वैसे वैसे कालकाजी मंदिर को कुछ मुगल बादशाहों ने गिराने का भी प्रयास किया पर माता कालकाजी के शक्ति के आगे सभी मुगलों के हौसले परस्त हो गए। और प्राचीन काल से आज भी माता कालकाजी का मंदिर यहां विराजमान है। और नक्षत्र के हिसाब से कालकाजी मंदिर के 12 द्वार हैं, और कालकाजी को ‘सिद्ध पीठ’ भी कहा जाता है। कालकाजी मंदिर में जो व्यक्ति अपनी इच्छा लेकर आता है माता कालकाजी उसकी इच्छा को जरूर पूर्ण करती है। कालकाजी मंदिर के बारे में कोई व्यक्ति निरंतर 40 दिनों तक कालकाजी के मंदिर में आए तो उसकी इच्छा अवश्य ही पूर्ण होती है।
आगे पुजारी आशुतोष शर्मा ने कालकाजी मंदिर के परिसर के विषय में चर्चा करते हुए बताया है कि कालकाजी मंदिर का एरिया 365 एकड़ में था, समय- समय पर परिवर्तन करने के कारण मंदिर का एरिया छोटा होता गया। लोग यहां पर अपनी इमारतें, धर्मशालाएं और दुकानें बनाते गए और मंदिर के आसपास का हिस्सा अतिक्रमण करते गए। साथ ही मंदिर का कुछ हिस्सा नेहरू प्लेस व अन्य इलाकों में चला गया।
पुजारी आशुतोष शर्मा ने कालकाजी मंदिर के रखरखाव व प्रबन्धन के बारे में बताया कि मंदिर के एडमिनिस्ट्रेशन रिटायर जज जे.आर.मिडा मंदिर की व्यवस्था को संभाल रहे हैं। जज मंदिर में श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्था देने के उद्देश्य से कार्यरत हैं, और उनके कार्यकाल में मंदिर की व्यवस्था में बहुत अधिक सुधार हुआ। साथ ही सफाई व्यवस्था की एक अच्छी शुरुआत मंदिर में की गई है।
अंत में कालकाजी मंदिर के मुख्य पुजारी आशुतोष शर्मा ने कालकाजी मंदिर में श्रद्धालुओं को मंदिर द्वारा प्रसाद वितरित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जल्द ही मंदिर समिति इस बात पर चर्चा करके इस प्रस्ताव पर अमल करेगी।