टारगेट किलिंग से परेशान कश्मीर घाटी में काम करने वाले लोगों ने पीएम मोदी से लगाई न्याय की गुहार

टेन न्यूज नेटवर्क,

नई दिल्ली, (10/07/22): आज कश्मीर के कश्मीरी पंडितों (प्रवासी-विस्थापित) कर्मचारियों का आंदोलन 59वें दिन में प्रवेश कर गया है। आज जम्मू से आए 60 से अधिक कर्मचारी जो वर्तमान में घाटी के विभिन्न हिस्सों में सेवा कर रहे हैं, उन्होंने दिल्ली के जंतर मंतर पर अपनी मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया।

कश्मीर में 12 मई 2022 को लेफ्टिनेंट राहुल भट की उनके कार्यस्थल तहसील कार्यालय चदूरा बडगाम, कश्मीर में नरसंहार / लक्ष्य हत्या के बाद लगते विरोध भड़क उठा था। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा की अब तक घाटी में काम करने वाले कई प्रवासी- गैरप्रवासी लोगों कि हत्या हो चुकी है।जिसने समुदाय के बीच भारी भय-मनोविकृति पैदा कर दी है।

प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा की हमलोग मूलभूत कारणों से कश्मीर में नौकरियों को स्वीकार किया, मुख्य रूप से पिछले 3 दशकों से निर्वासन में रह रहे विस्थापित समुदाय की प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के कारण और दूसरा हम राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान देना चाहते थे, हम में से अधिकांश लोग 2014 के बाद शामिल हुए क्योंकि हम माननीय प्रधानमंत्री जी के सक्षम नेतृत्व में बहुत विश्वास है। लेकिन हमें ऐसा लगता है जैसे हमारे नेतृत्व ने हमें त्याग दिया है।

 

कश्मीर के हिंदुओं के नरसंहार से इनकार न केवल कश्मीर के हिंदुओं के लिए विनाशकारी रहा है, बल्कि जिहाद को शेष भारत में भी फैलाया है, जो कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा पहले ही प्रस्तुत किए गए हिंदू नरसंहार और अत्याचार निवारण विधेयक 2020 को लागू करने की आवश्यकता को बढ़ाता है।

इस संदर्भ में घाटी और केपी समुदाय में काम करने वाले पूरे कश्मीरी पंडित कर्मचारी इसलिए भारत के माननीय प्रधानमंत्री, भारत के माननीय गृह मंत्री और जेके केंद्र शासित प्रदेश के माननीय एलजी से अनुरोध करते हैं कि हमारी निम्न मांगों को प्राथमिकता पर संबोधित करें।

हमारी मांग है की हमें घाटी के बाहर स्थानांतरित करें या घाटी में हिंदुओं के आगे नरसंहार, लक्ष्य हत्याओं से बचने के लिए हमें राहत आयुक्त कार्यालय जम्मू में तैनात संलग्न करें।

एसआरओ 412 के तहत कर्मचारियों द्वारा हस्ताक्षरित असंवैधानिक बांड को रद्द करें जो बंधुआ मजदूरी पर जोर देता है।

पुनर्वास को पीएम पैकेज से अलग करना और इसे आर्थिक पैकेज घोषित करना।

हमारे सभी मामलों में समानता के अधिकार की रक्षा के लिए घाटी में पूरे समुदाय का पुनर्वास होने के बाद ही हमारा पुनर्वास करें।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के सामान्य कर्मचारियों के समान पीएम पैकेज कर्मचारियों के सेवा नियम सुनिश्चित करें।