SC पहुंचा दिल्ली चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति का मामला, सर्वोच्च न्यायालय ने सुझाया सुलह का रास्ता

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (25 नवंबर 2023): राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने आ गए हैं। तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को सुलझाने और जल्द मुख्य सचिव चुनने का रास्ता बता दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार से कहा कि वह सुझाए गए नामों पर एक घंटे के अंदर ही फैसला ले, साथ ही कोर्ट ने कहा कि जिन नामों का पैनल सुझाएगा उन्हें गुप्त रखना है। उस व्यक्ति का नाम सोशल मीडिया पर न उछाले। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को आदेश दिया है कि सिविल सर्वेंट्स का पैनल बनाकर कोर्ट को बताएं।

चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ती को लेकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि केंद्र जिन नामों का सुझाव देगा उनपर दिल्ली सरकार को एक घंटे के अंदर फैसला लेना होगा। इस पर दिल्ली सरकार का कहना था कि चीफ सेक्रेटरी के चुनाव में केंद्र और राज्य सरकार के बीच बैलेंस बनाना जरूरी है। तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून में बदलाव के बाद चीफ सेक्रेटरी का चुनाव जल्द करना बेहद जरूरी हो गया है।

बता दें कि आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल सरकार की याचिका पर बेंच सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि नरेश कुमार जो 30 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं उसके जगह पर नए चीफ सेक्रेटरी का चुनाव केंद्र सरकार को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार से सलाह लेकर करना चाहिए। केजरीवाल सरकार की ओर से पेश वकील एएम सिघवी ने कहा कि केंद्र सरकार को केजरीवाल सरकार से सलाह लेकर ही चीफ सेक्रेटरी नियुक्त करना चाहिए। तो वहीं उपराज्यपाल की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पहले भी चीफ सेक्रेटरी के नामों को लेकर खूब चर्चा की गई है। अब हम नहीं चाहते कि फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार को सार्वजनिक रूप से मिथ्या आरोप लगाने का मौका मिले।

तो वहीं इस पर सीजेआई ने कहा कि मुझे लगता है कि अगर इस मुद्दे को उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री पर छोड़ दिया जाए तो इसका कोई समाधान ही नहीं निकलेगा। केंद्र और उपराज्यपाल को मिलकर आईएएस अधिकारियों का नाम सुझाना होगा और इसके बाद मुख्यमंत्री उनमें से एक नाम का चुनाव करेंगे। साथ ही सीजेआई ने कहा कि इस पैनल में शामिल किसी भी अधिकारी का नाम सोशल मीडिया पर नहीं आना चाहिए। हम सहमत हैं कि इस मामले को मिथ्या आरोप प्रत्यारोप के लिए क्यों छोड़ा जाए। इसका ऐसा समाधान होना चाहिए जिससे उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच विश्वास बना रहे।