टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (25/07/22): राजधानी दिल्ली के आईटीओ स्थित हिंदी भवन में अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन के बैनर तले डॉ चिरोंजी लाल द्वारा लिखित उपन्यास, ‘न्याय की तलाश’ का विमोचन किया गया। विमोचन समरोह के दौरान काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों द्वारा भगवान गणेश की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री ‘कुसुम लता कुसुम’ की तरफ से प्रस्तुत किए गए सरस्वती वंदना के साथ हुई। इसके बाद डॉ चिरोंजी लाल द्वारा कृत उपन्यास ‘न्याय की तलाश’ का मंच पर मौजूद प्रबुद्ध लोगों द्वारा विमोचन किया गया।
डॉ चिरोंजी लाल द्वारा कृत उपन्यास ‘न्याय की तलाश’ पर प्रकाश डालते हुए डॉ चिरोंजी लाल ने कहा की यह उपन्यास लचर होती कानून व्यवस्था के ऊपर लिखी गई है। जिसमें दिखाया गया है कि कैसे समाज में न्यायपालिका कार्यपालिका के सामने कोई व्यक्ति न्याय की गुहार लगाता रहता है। लेकिन उसे न्याय नहीं मिलती है। वह न्याय की तलाश में भटकता रहता है लेकिन उसे न्याय नहीं मिलती है।
मैनपुरी से आए वरिष्ठ साहित्यकार ‘डॉ हरिश्चन्द्र शाक्य’ ने न्याय की तलाश किताब के विमोचन के बाद किताब की समीक्षा करते हुए कम से कम शब्दों में पूरे तरीके से किताब में क्या लिखा गया है किसके लिए लिखा गया है और क्यों लिखा गया है इन तमाम बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए किताब न्याय की तलाश के बारे में मौजूद कार्यक्रम में सभी लोगों को अवगत करवाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री डॉ श्याम सिंह ‘शशि’ (वरिष्ठ साहित्यकार) ने किया। अपने संबोधन में डॉ श्याम सिंह ‘शशि ने कहा की आज के इस दौर में साहित्य का अलख लोगों के बीच जगाना जरूरी हो गया है। साहित्य को लोग भूल रहे हैं सोशल मीडिया का गहरा प्रभाव से साहित्य के विकास पर प्रभाव पड़ा है। डॉ चिरोंजी लाल द्वारा कृत उपन्यास ‘न्याय की तलाश’ के विमोचन पर चिरोंजी लाल को बधाई देते हुए कहा की ये किताब समाज को न्याय के प्रति एक आईना दिखाएगा। इस तरह के किताब को लिखना अपने आप में बहुत बड़ा समाज के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
विशिष्ट अतिथि के तौर पर जर्मनी से पधारी डॉ योजना साह जैन (वरिष्ठ साहित्यकार) ने कहा की साहित्य और इंसान का संबंध बहुत मधुर है। डॉ योजना साह ने राष्ट्र को समर्पित कई कविताओं का पाठ किया। योजना साह ने कहा की आज मैं जर्मनी में रहती हूं लेकिन दिल मेरा वतन में हीं रहता है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे नागरी लिपि परिषद दिल्ली के महामंत्री डॉ हरी सिंह पाल ने कहा की न्याय की तलाश जो किताब है वो सच्ची घटना पर आधारित है। समाज में ऐसे किताबों और ऐसे लेखकों की आज जरूरत है जो सच्ची घटना से लोगों को अवगत कराएं।
साहित्य के उत्थान पर प्रकाश डालते हुए डॉ हरी सिंह पाल ने कहा की बदलते दौर में लेखन की शैली को भी बदलना हमारी प्राथमिकता है।
अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार पांडेय ने मंच का संचालन किया। राजीव कुमार पांडे ने कहा की हमारी संस्था समय समय पर इस तरह के कार्यक्रम करती रहती है। साहित्य और काव्य को लेकर अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन का एक बड़ा योगदान रहा है।
अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन के महासचिव ओंकार त्रिपाठी और कोषाध्यक्ष अनुपमा पाण्डेय ने आए हुए अतिथियों का पुष्प गुच्छ, अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया। इस मौके पर ब्रज माहिर,रजनीश स्वछंद, कुसुम लता कुसुम, गार्गी कौशिक, जय श्रीकांत, रीता अदा समेत देश के अलग अलग कोने से आए कवियों ने काव्य पाठ किया।