GOVARDHAN MUST KNOW FACTS

गोवर्धन का सत्य –

आजकल गोवर्धन का बड़ा ही महात्म्य है।लोग दूर दूर से परिक्रमा करते हैं। जानिए गोवर्धन पूजा क्या है-

गोवर्धन पूजा = गो (गाय) वर्धन (बढाना)
अर्थात गाय पालकर, गायों की संख्या बढाना ही गोवर्धन पूजा कहाता है।

पहले यह नियम था जिस व्यक्ति के पास एक लाख गाय होती थीं वो नन्द और जिसके पास एक लाख से अधिक हों उसे महानंद की उपाधि से सम्मानित किया जाता था। कृष्ण जी बाबा नंद की गाय, ग्वाल वालों के साथ गोबरधन पर्वत और उसके आस पास चारो तरफ चराते थे। गोबरधन भी नाम इसीलिए पड़ा कि लाखों गायें चरते-चराते समय इतना गोबर करती थी कि यत्र-तत्र गोबर बहुतायत में मिल जाता था। प्रतिवर्ष गोपाष्टमी का मेला इसी पहाड़ी पर लगता था क्योंकि गाय सूखा स्थान चाहती है, यह पहाड़ी ऊँची और सुरक्षित भी थी। मेले में कृष्ण जी गायों का निरीक्षण करते थे, अच्छी स्वस्थ, निरोगी गायों और चरवाहों की पूजा(आदर, सत्कार) करते, उन्हें पारितोषिक वितरण करते और भविष्य के लिए ग्वालों को प्रोत्साहित करते, गौ वंश की वृद्धि में लालन पालन आदि में शुभ सम्मति प्रदान करते थे। कहने का अभिप्राय है कि कृष्ण जी ने गोवर्धन को इतना बढ़ाया(उठाया) कि वह विश्व मे गोपालक के नाम से विख्यात हो गये।

मेरा सभी से करबद्ध निवेदन है धर्म के मर्म को समझे और अपने पूर्वजों(श्री कृष्ण, नंद, ग्वालों) के सम्मान की रक्षा करें और असली गोवर्धन पर्व मनाए।

वैदिक ऋषियों ने कहा है-‘‘गावो विश्वस्य मातर:’’ अर्थात् गौएँ विश्व की माता के तुल्य हैं। ये विश्व का पोषण करने वाली हैं। हम प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी, आज के पावन दिन को गोवर्धन पूजा दिवस के रूप में मना रहे हैं। हमारी वास्तविक गोवर्धन पूजा तभी सम्भव होगी जब हम गाय को बूढ़ी हो जाने पर भी माता के समान आजीवन उसकी सेवा करते हुए किसी कसाई के हाथों नहीं बेचेंगे और न बिकने देंगे और हम वेदादि शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुकूल गोसेवा और गोरक्षा करते हुए उनका संवर्धन करेंगे।

एक वैज्ञानिक डा. बॉयलर जो अंग्रजी शासन काल में भारतीय कृषि की जांच करने आए थे, ने गाय के गोबर का विश्लेषण करके बताया है कि भारत में गोवंश से प्राप्त होने वाले गोबर से ही एक करोड़ रुपये के मूल्य की खाद प्रतिदिन प्राप्त हो सकती है। आज के मूल्यों को देखते हुए यह धनराशी कम से कम 100 करोड़ रुपये प्रतिदिन से अधिक की होगी। कृत्रिम रासायनिक खाद से भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्रास होता है और अन्ततोगत्वा वह बंजर भूमि में परिवर्तित हो जाती है। इसलिए गोबर की खाद कृषि के लिए अत्यंत लाभदायक है।