दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 सिख कत्लेआम के 5 केस द ोबारा खोले*

*दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 सिख कत्लेआम के 5 केस दोबारा खोले*

*दिल्ली कमेटी के यत्नों से दिल्ली कैंट के 32 वर्ष पुराने केसों में इन्साफ की उम्मीद जगी*

*दिल्ली पुलिस ने 25 एफ.आई.आर. के स्थान पर 1 एफ.आई.आर. दर्ज करके अपनी जिम्मेवारी से भागने की गुस्ताखी की थी : जी.के.*

नई दिल्ली (29 मार्च 2017) दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 सिख कत्लेआम के दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर ईलाके में हुए 25 सिखों के कत्लेआम से संबंधित एफ.आई.आर. नम्बर 416/84 में शामिल 5 केसों को दुबारा खोलने का आज आदेश दिया है। जस्टिस गीता मित्तल एवं अनु मल्होत्रा की पीठ ने केस की सुनवाई के दौरान इस संबंधी दिल्ली पुलिस को आदेश दिया।
दरअसल नवम्बर 1984 में राजनगर में 25 सिखों के कत्ल संबंधी अलग-अलग शिकायतकर्ताओं द्वारा दिल्ली कैंट थाने में एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिए आवेदन दिये गये थे। जिस पर दिल्ली पुलिस ने गोल-मोल कार्यवाही करते हुए एफ.आई.आर. नम्बर 416/84 में सभी शिकायतें नत्थी कर दी थी। जिसमें सिर्फ 5 शिकायतों पर निचली अदालत में दिल्ली पुलिस ने कानूनी कार्यवाही शुरू की थी। पुलिस द्वारा गवाहों के ना मिलने का हवाला देने के बाद निचली अदालत ने आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया था।

2000 में एन.डी.ए. सरकार द्वारा बनाये गये नानावटी आयोग के पास भी दिल्ली पुलिस की इस कार्यवाही के बारे पीडितों ने अपना विरोध दर्ज करवाया था। 5 वर्ष तक चले आयोग ने 2005 में उक्त 5 केसों को फिर से खोलने का आदेश दिया था पर 12 साल के लंबे इन्तजार के बाद अब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कानूनी विभाग के यत्नों से दिल्ली हाईकोर्ट ने उक्त केसों को फिर से खोलने का आदेश दिया है।

इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कमेटी अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. ने इन पांचों केसों से संबंधित कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार तथा उनके साथियों को सजा दिलवाने के लिए पूरी ताकत लगाने का दावा किया। जी.के. ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने कत्लेआम पीड़ितों को इन्साफ देने के नाम पर दिल्ली के सिखों की आंखों में जो धूल झोंकी थी यह उसकी जीवित मिसाल है। जी.के. ने हैरानी जताई कि जिंस तरीके से 25 एफ.आई.आर. की बजाये 1 एफ.आई.आर. दर्ज करके अपनी जिम्मेवारी से भागने की दिल्ली पुलिस ने जो गुस्ताखी की है उसकी मिसाल दुनिया के सबसे बड़े प्रजातंत्र भारत के अलावा कहीं नहीं मिलती।

गलत पतों पर सम्मन भेजकर गवाहों के ना मिलने का दावा दिल्ली पुलिस द्वारा करने का भी जी.के. ने आरोप लगाया। 5 केसों में दोषीयों को बरी करवाकर 25 निर्दोषों के कातिलों को बचाने संबंधी बड़ी साजिश के पीछे जी.के. ने कांग्रेस के बड़े नेताओं की कथित भागीदारी होने का भी अंदेशा जताया। जी.के. ने आशा जताई कि कमेटी के कानूनी विभाग प्रमुख जसविन्दर सिंह जौली तथा कमेटी के इस केस में वकील कामना वोहरा, गुरबख्श सिंह एवं लख्मीचंद पूरी ताकत के साथ कातिलों को सजा दिलवाने की अपनी जिम्मेदारी निभायेंगे।