नई दिल्ली| 8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का एलान किया था. पीएम ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी का फैसला लिया था. मगर क्या आप जानते है कि ये फैसला लेने का आईडिया पीएम को कहां से आया था. ख़बरों के अनुसार नोटबंदी से तीन साल पहले पुणे के अर्थक्रांति प्रतिष्ठान के अनिल बोकिल की ओर से नोटबंदी का प्रपोजल मोदी और बीजेपी नेताओं को दिया गया था. बोकिल को मोदी से मुलाकात के लिए सिर्फ 9 मिनट का वक्त दिया गया था, लेकिन नोटबंदी का प्रपोजल जानने के बाद उन्होंने इसमें इंटरेस्ट दिखाया और पूरे 2 घंटे तक चर्चा की.
ऐसा था प्रस्ताव:
अर्थक्रांति संस्था के अनुसार उन्होंने अपने प्रपोजल में बताया था कि सरकार ने केवल इम्पोर्ट ड्यूटी को छोड़कर 56 तरह के टैक्स वापस लिए जाने चाहिए. साथ ही 1000, 500 और 100 रुपए के नोट वापस लिए जाए. संस्था पूरी तरह से टैक्सलेस इकॉनमी बनाना चाहती थी मगर मोदी सरकार ने उनकी बात नहीं मानी.
कांग्रेस को भी दिया गया था प्रपोजल:
अर्थक्रांति संस्था इस प्रपोजल को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी मिली थी. राहुल गांधी ने उन्हें सिर्फ 10 से 15 सेकेंड का वक्त दिया था. यूपीए 1 के दौरान इन्होंने लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चैटर्जी को भी पत्र लिखकर मांग की थी कि उनकी टीम को संसद में एक मॉडल पेश करने की अनुमति दी जाए.
अर्थक्रांति प्रतिष्ठान के अनिल बोकिल के अनुसार नोटेबंदी के फैसले से पहले पीएम मोदी को 5 पॉइंट्स की प्रेजेंटेशन दिया गया था. बोकिल कहते हैं कि सरकार द्वारा उठाया गया कदम नोटबंदी नहीं डी-करंसीफिकेशन था और यह ब्लैक मनी को खत्म करने में सफल रहा. इससे आतंकवाद और फेक करंसी पर भी लगाम लगी थी.