मुंबई| कर्ज के बोझ और घाटे की वजह से टेलिकॉम सेक्टर में अब लोगों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है. इंडस्ट्री अनुमान के मुताबिक करीब डेढ़ लाख डायरेक्ट और इनडायरेक्ट नौकरियां जा सकती हैं. एक अनुमान के मुताबिक टेलिकॉम सेक्टर इस समय करीब 8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में दबा है. इसके अलावा ग्राहक बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा में दिए जाने वाले ‘मुफ्त’ ऑफर्स की वजह से भी कंपनियां घाटे में हैं.
टेलीकॉम सेक्टर की मुश्किलों का अंदाजा संचार मंत्री मनोज सिन्हा के उस बयान से लगाया जा सकता है, जो उन्होंने हाल ही में इंडिया मोबाइल कांग्रेस में दिया. उन्होंने कहा कि सरकार टेलीकॉम सेक्टर में मौजूद दबाव से परिचित है. हमने पहले भी हस्तक्षेप किया और जररूत पड़ी तो फिर ऐसा करेंगे. हम सुनिश्चित करेंगे कि सेक्टर मरे नहीं.
अप्रैल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने भी कमर्शियल बैंकों को टेलिकॉम सेक्टर की कंपनियों को दिए जा रहे लोन को लेकर सचेत किया था. इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक टेलिकॉम कंपनियों के पास कॉस्ट कटिंग के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. इसलिए अब छंटनी का सहारा लिया जा सकता है.
कर्ज और घाटे की वजह से ही कुछ कंपनियों ने पहले ही विलय कर लिया है जिस वजह से 15 हजार से अधिक नौकरियां जा सकती हैं. इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक बड़ी टेलीकॉम कंपनियां आइडिया-वोडाफोन के विलय से लगभग 1,800 लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया है. अभी 5-6 हजार और लोगों की नौकरी जा सकती है. दूसरी तरफ वोडाफोन ने 1,400 लोगों को सेवा मुक्त कर दिया है.
देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल भी सेल्स और रीटेल टीम से 1,500 लोगों को हटा चुकी है. टेलिनॉर की खरीद से नौकरियों में दोहराव भी छंटनी का एक कारण है. रिलांयस कम्युनिकेशन्स ने भी सिस्टमा के साथ विलय करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए 1,200 कर्मचारियों की छुट्टी कर दी तो वहीं एयरसेल के साथ (टूट चुके) समझौते के लिए 800 लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी.
इंडस्ट्री का अनुमान है कि टेलिकॉम सेक्टर में मौजूद संकट की वजह से करीब 1,25,000 डायरेक्ट नौकरियां जा सकती हैं. जानकारी के मुताबिक अर्थव्यवस्था में गिरावट आ रही है