टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (17/10/2023): मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जीवन पर आधारित रामलीला का आयोजन राजधानी दिल्ली के अलग-अलग स्थान पर किया जा रहा है। दिल्ली के प्रसिद्ध रामलीला मैदान में श्री रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित रामलीला का मंचन जारी है। दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित होने वाले रामलीला को देखने 70% दर्शक मुस्लिम समुदाय के होते हैं।
दिल्ली के रामलीला मैदान में रामलीला का आयोजन आज से लगभग सैकड़ो वर्षों पूर्व से होता आ रहा हैं। इस रामलीला की सबसे बड़ी विशेषता है कि रामलीला का मंचन शुरू होने से पहले सभी कलाकारों की प्रतिदिन झांकी निकाली जाती हैं। यह झांकी शाम के 6 बजे से शुरू हो जाती हैं तथा 8 बजे रामलीला का आयोजन किया जाता है।
श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने कहा कि इस बार रामलीला मैदान में आयोजित होने वाले रामलीला में बहुत सारे बदलाव किए गए हैं। इस बार दर्शकों के लिए तीन नए सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है। पहले सेल्फी प्वाइंट एशिया गेम में जीत दर्ज करने वाले खिलाड़ियों के सम्मान में बनाया गया है। दूसरा सेल्फी प्वाइंट धनुष का बनाया गया है वहीं तीसरा सेल्फी पॉइंट में अशोक स्तंभ को दर्शाया गया है। अजय अग्रवाल ने कहा कि रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली रामलीला में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं 200 वालंटियर को वॉकी-टॉकी के साथ सुरक्षा में तैनात किया गया है। 35 सिविल डिफेंस के लोग सेंट्रल दिल्ली से सुरक्षा में तैनात है और वही 35 सिविल डिफेंस के लोग नॉर्थ जोन से रामलीला मंचन के दौरान सुरक्षा में तैनात रहेंगे। सेफ्टी का पूरा ध्यान रखा जा रहा है किसी भी व्यक्ति को यहां आने में सुविधा महसूस ना हो इसके लिए विशेष बंदोबस्त भी किए गए हैं। प्रतिदिन रामलीला मंचन में दो फिल्मी कलाकार दर्शकों के मनोरंजन के लिए हम लोग बुलाते हैं। इसके साथ रामलीला की शुरुआत में सबसे पहले राष्ट्रगान का आयोजन किया जाता है। अंतिम दिन मुख्य अतिथि के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को आमंत्रित किया गया है।
राम लीला कमेटी के महासचिव राजेश खन्ना ने बताया कि चांदनी चौक की गलियों में आज भी रामलीला के कलाकार दस दिनों तक रोजाना शोभा यात्रा निकालते हैं। यह यात्रा साइकल मार्केट से शुरू हो कर दरीबा, चांदनी चौक, टाउन हाल, नई सड़क, चावड़ी, हौजकाजी, अजमेरी गेट होते हुए रामलीला मैदान पहुंचती है। इस यात्रा में पूरी दिल्ली शामिल हो जाती है। कई लोग इस यात्रा के साथ हो लेते हैं। रोजाना आठ किलोमीटर का रास्ता तय कर रामलीला का मंचन शुरू होता है। वर्ष 1950 में इस मैदान का नाम रामलीला मैदान रखा गया। इस मैदान के करीब एक तालाब हुआ करता था जिसमें केवट प्रसंग का मंचन होता था। अब उस स्थान पर सिविक सेंटर का मुख्यालय है। आजादी के समय दिल्ली की जनसंख्या करीब चार लाख हुआ करती थी। इस रामलीला को देखने के लिए दिल्ली के दूरदराज के लोग देखने आते हैं।।