टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (11/10/2023): जर्मन के फॉस्टर होम में रहने वाली भारतीय बच्ची अरिहा शाह की मां धारा शाह दिल्ली के जंतर मंतर पर आज धरने पर बैठी। दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रही अरिहा की मां ने कहा कि वे जर्मन सरकार से मांग कर रही है कि अरिहा को जर्मनी में, जहां उसे फॉस्टर देखभाल में रखा गया है, भारतीय समुदाय के साथ दिवाली मनाने की अनुमति दी जाए।
अरिहा की मां ने टेन न्यूज से कहा कि अरिहा शाह एक भारतीय नागरिक है और अंतरराष्ट्रीय कानून, बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर जब संयुक्त राष्ट्र संधि और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार चार्टर के तहत उसे अपनी राष्ट्रीयता, संस्कृति, भाषा और धर्म के संरक्षण पालन का पूरा अधिकार है। अरिहा की मां ने कहा कि हालांकि जर्मन अधिकारियों ने भी बार-बार इस बात पर सहमति जताई है कि अरिहा अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विरासत की हकदार है, पर जर्मन राज्य की हिरासत में 2 वर्षों बीत जाने के बाद भी इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है।
कड़वी सच्चाई यह है की भारत की ये बच्ची एक वेतनभोगी जर्मन देखभालकर्ता की निगरानी में है। जिसका भारत या जैन धर्म से कोई संबंध नहीं है। उसे गुजराती या हिंदी भाषा पढ़ने की अनुमति भी नहीं दी गई है, जबकि उसके माता-पिता इसके लिए इंतजाम करने को तैयार है।
अरिहा की मां ने कहा कि अरिहा को जर्मनी में भारतीय समुदाय के बच्चों के साथ खेलने की भी अनुमति नहीं है। उसे प्ले स्कूल में नहीं रखा गया है। वह पूरी तरह से अलग-थलग और एक बेरंग जीवन जी रही है। उसे किसी भी भारतीय त्योहार या राष्ट्रीय दिवस में भाग नही लेने दिया जाता है। जबकि उस ही इलाके में भारतीय समुदाय नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित करता है। भारतीय दूतावास ने अरिहा के लिए इस तरह के सांस्कृतिक विसर्जन का आयोजन करने की पेशकश भी की है। अरिहा की मां ने कहा की अरिहा का हर प्रकार से जर्मनी करण किया जा रहा है। उसे उसकी भारतीय विरासत से अलग किया जा रहा है। यदि उसे जर्मनी में भारतीय समुदाय के माध्यम से भी भारत के साथ संबंध बढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई, तो वह दोहरे अलगाव की स्थिति में जर्मन पालन-पोषण की देखभाल से बाहर हो जाएगी। इसके बाद न तो वह जर्मन नागरिक होगी और ना हीं अपने देश, भारत के साथ उसका कोई संबंध होगा।
अरिहा की मां ने कहा कि अदालत के आदेश की अवमानना भी किया जा रहा है। जर्मन अदालत ने अरिहा के माता-पिता को महीने में दो बार मुलाक़ात की अनुमति दी थी लेकिन पिछले तीन महीनों से किसी न किसी बहाने से ये मुलाक़ात रद्द कर दी गई है। जैसे कभी वे कहते हैं की अरिहा को मुलाकात के लिए लाने के लिए बाल सेवा की ओर से कोई उपलब्ध नहीं है। अरिहा एक बच्ची है, उसका रोना उसके माता-पिता के साथ अदालत द्वारा आदेशित संपर्क से इनकार करने का शायद ही कोई औचित्य है।।