नई दिल्ली: नवरात्र में मां आदि शक्ति के नौ रूपों का पूजन किया जाता है. हर दिन शक्ति के अलग रूप की पूजा होती है. यह नौ दिन भारतीय संस्कृति की अनूठी झलक पेश करते हैं. नवरात्र का हर दिन समान भक्ति भाव से पूजा जाता है.आज नवरात्र का तीसरा दिन है.
नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां दुर्गा की ही तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व माना जाता है. इस दिन साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है. मां चंद्रघंटा की कृपा से विविध प्रकार की ध्वनियां सुनाई देती हैं इसलिए इन्हें स्वर विज्ञान की देवी भी कहा जाता है.
चंद्र के समान सुंदर मां के इस रूप से दिव्य सुगंधियों और दिव्य ध्वनियों का आभासहोता है. मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है.
सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है. इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं. नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है.
मां चंद्रघंटा की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है. इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए. इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं.