मनीष सिसोदिया ने जेल से पीएम मोदी को लिखा पत्र, पीएम के शिक्षा पर उठाए सवाल

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (07/04/2023): दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज यानी शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनकी शिक्षा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पत्र में कहा है कि भारत की प्रगति के लिए एक शिक्षित प्रधानमंत्री का होना जरूरी है।

मनीष सिसोदिया ने पत्र में लिखा है, “आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। दुनिया भर में विज्ञान और टेक्नॉलॉजी में, हर रोज़ नई तरक्‌की हो रही है। सारी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की बात कर रही है। ऐसे में जब मैं प्रधानमंत्री जी को ये कहते हुए सुनता हूँ कि गंदे नाले में पाईप डालकर उसकी गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है, तो मेरा दिल बैठ जाता है। क्या नाली की गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है? नहीं! जब प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जहाज़ को रडार नहीं पकड़ सकता तो पूरी दुनिया के लोगों में वो हास्य के पात्र बनते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मज़ाक बनाते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि “उनके इस तरह के बयान देश के लिए बेहद खतरनाक हैं। इसके कई नुकसान हैं- जैसे पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कितने कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं है। दूसरे देशों के राष्ट्र अध्यक्ष जब प्रधानमंत्री जी से गले मिलते हैं तो एक-एक झप्पी की भारी कीमत लेकर चले जाते है। बदले में न जाने कितने कागजों पर साइन करवा लेते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री जी तो समझ ही नहीं पाते क्योंकि वो तो कम पढ़े-लिखे हैं। आज देश का युवा aspirational है। वो कुछ करना चाहता है। वो अवसर की तलाश में है। वो दुनिया जीतना चाहता है। साइंस और टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में वो कमाल करना चाहता है। क्या एक कम पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री आज के युवा के सपनों को पूरा करने की क्षमता रखता है?”

उन्होंने कहा कि “हाल के वर्षों में देश भर में 60,000 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए। क्यों? एक तरफ देश की आबादी बढ़ रही है। तो सरकारी स्कूलों की संख्या तो बढ़नी चाहिए थी? अगर सरकारी स्कूलों का स्तर अच्छा कर दिया जाता तो लोग अपने बच्चों को प्राइवेट से निकाल कर सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू कर देते, जैसा कि अब दिल्ली में होने लगा है। लेकिन देश भर में सरकारी स्कूलों का बंद होना खतरे की घंटी है। इससे पता चलता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता है ही नहीं। अगर हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं देंगे, तो क्या भारत तरक्‌की कर सकता है? कभी नहीं।”

उन्होंने आखिर में कहा है कि “मैंने प्रधानमंत्री मोदी जी का एक वीडियो देखा था, जिसमें वो बड़े गर्व के साथ कह रहे हैं कि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं। केवल गांव के स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई। क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होना गर्व की बात है ? जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में एक आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का कभी इंतज़ाम नहीं किया जाऐगा। हाल के वर्षों में 60,000 सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना इस बात का जीता जागता प्रमाण है। ऐसे में मेरा भारत कैसे तरक्‌की करेगा? आप अपनी छोटी सी कंपनी के लिए एक मैनेजर रखने के लिए भी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को ही ढूंढ़ते हैं। क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा लिखा नहीं होना चाहिए?”