नई दिल्ली. ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के 75 वर्ष पूरे होने पर गुरुवार को संसद में विशेष सत्र हुआ. संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन दिया. पीएम ने गांधी के आदर्शों को याद करते हुए जनता से अपील की कि भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर वे सांप्रदायिकता, जातिवाद, भ्रष्टाचार से देश को मुक्त कराने का संकल्प लें. पीएम ने कहा कि युवाओं के लिए जरूरी है कि वह भारत छोड़ो आंदोलन जैसे ऐतिहासिक क्षणों के बारे में जानें.
यह भारत के लिए गौरवान्वित दिन है. इस बात के साथ मोदी ने संबोधन की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि ये खास पल है. हम भारत छोड़ो आंदोलन को याद कर रहे हैं. ऐसे पलों को याद करने से हमें एक मजबूती मिलती है. मोदी ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन ने देश में नए नेतृत्व का उदय किया. सभी ने आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी का समर्थन किया. हमारी आजादी सिर्फ भारत के लिए नहीं थी, बल्कि यह विश्व के दूसरे हिस्सों में उपनिवेशवाद के खात्मे में एक निर्णायक क्षण था.
प्रधानमंत्री ने सदन में कहा कि अंग्रेजों ने भी ऐसे आंदोलन की कल्पना नहीं की थी. 1942 में अभी नहीं तो कभी नहीं का माहौल था. आज हमारे पास गांधी का नेतृत्व नहीं लेकिन सवा सौ करोड़ लोगों के विश्वास के साथ यहां पहुंचे लोगों के लिए कुछ भी असंभव नहीं. उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के समय बापू बोले थे- ‘पूर्णं स्वतंत्रता से कम मंजूर नहीं’. उन्होंने कहा था कि ‘करेंगे या मरेंगे’ और आज वही नारा ‘करेंगे आर करके रहेंगे’ के रूप में है. महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन को ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास किया. इतिहास की याद जीवन को नई ताकत देता है.
मोदी ने कहा कि गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण हमारे देश के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, हमें सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है, भ्रष्टाचार हमारी राजनीति को अंदर से खोखला कर रहा है, हम गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टटाचार से देश को मुक्त बनाने का संकल्प लें. प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि में हम उसी भावना और संकल्प के साथ काम करें जो भाव 1942 से 1947 के बीच पांच वर्ष की अवधि के दौरान था. मोदी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1942 के ‘करो या मरो’ के नारे की तर्ज पर ‘करेंगे और करके रहेंगे’ का संकल्प लेने का आह्वान किया.