टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (6 अक्टूबर 2022): भारत की मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए कांग्रेस नेता डॉ उदित राज द्वारा दिए गए विवादित बयान के बाद बहस एकबार फिर तेज हो गई है।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति मुर्मू ने गुजरात में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए मंच से अपने संबोधन में 3 अक्टूबर 2022, को कहा कि
“गुजरात में देश का 76 प्रतिशत नमक बनाया जाता है, ये कहा जा सकता है कि सभी देशवासी गुजरात का नमक खाते हैं।”
जिसके बाद देशभर में सियासी गलियारों में बहस छिड़ गई, और अलग अलग पार्टी के सियासतदानों द्वारा इस मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की गई।
इस मामले में कांग्रेस नेता डॉ उदित राज ने राष्ट्रपति के लिए विवादित बयान देते हुए ट्वीट किया ” द्रौपदी मुर्मू जी जैसा राष्ट्रपति किसी देश को न मिले। चमचागिरी की भी हद्द है । कहती हैं 70% लोग गुजरात का नमक खाते हैं । खुद नमक खाकर ज़िंदगी जिएँ तो पता लगेगा।”
उदित राज के इस बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि
“जिस प्रकार का शब्द उन्होंने (उदित राज) राष्ट्रपति जी के लिए प्रयोग किया है वो चिंताजनक है,ये कोई पहली बार कांग्रेस ने इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग राष्ट्रपति जी के लिए नहीं किया है। इससे पहले अधीर रंजन चौधरी जी ने किया…वो भी हमने सुना है: भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा, दिल्ली”
“ये सब कही न कही कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है और ये कही न कही आदिवासी विरोधी मानसिकता को उजागर करता है। कांग्रेस को इसके लिए क्षमा मांगना चाहिए: भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा, दिल्ली”
हालाकि मामले में बढ़ते विवाद को देख डॉ उदित राज ने अपने सफाई में कई सारे ट्वीट किया
“द्रौपदी मुर्मू जी का राष्ट्रपती के तौर पर पूरा सम्मान है। वो दलित – आदिवासी की प्रतिनिधि भी हैं और इन्हे आधिकार है अपने हिस्से का सवाल करना। इसे राष्ट्रपती पद से न जोड़ा जाए।”
“द्रौपदी मुर्मू जी से कोई दुबे, तिवारी, अग्रवाल, गोयल, राजपूत मेरे जैसा सवाल करता तो पद की गरिमा गिरती। हम दलित – आदिवासी आलोचना करेगें और इनके लिए लड़ेंगे भी। हमारे प्रतिनिधि बनकर जाते हैं फिर गूंगे-बहरे बन जाते हैं। bjp ने मेरा सम्मान किया,जब एससी/एसटी की बात की तो बुरा हो गया।”
“मेरा बयान द्रोपदी मुर्मू जी के लिऐ निजी है,कांग्रेस पार्टी का नही है। मुर्मू जी को उम्मीदवार बनाया व वोट मांगा आदीवासी के नाम से।राष्ट्रपति बनने से क्या आदिवासी नही रहीं? देश की राष्ट्रपती हैं तो आदिवासी की प्रतिनिधि भी। रोना आता है जब एससी/एसटी के नाम से पद पर जाते हैं फिर चुप।”