टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (15/09/2022): उत्तर प्रदेश में एक नाबालिग लड़के के बीमार पिता की मृत्यु पर नाबालिगों के अंगदान को लेकर बहस छिड़ गया है। दरअसल उत्तर प्रदेश के एक नाबालिग लड़के ने अपने बीमार पिता को लिवर दान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही नाबालिग के पिता की मृत्यु हो जाता है। वहीं इस मामले में बुधवार को अदालत को जानकारी दिया गया। इसके बाद जस्टिस कौल और जस्टिस अभय ओका की पीठ ने इस मामले की कार्यवाही को स्थगित करने का फैसला किया है।
इससे पहले शुक्रवार को चीफ जस्टिस यूयू ललित के संज्ञान में लाया गया था जिन्होंने मामले की तत्परता को समझते हुए इसे सूचीबद्ध करने के निर्देश दिया था। पीठ ने कहा था कि बेटे ने स्वेच्छा से अपना लिवर पिता को दान करने की इच्छा जताई है लेकिन उसके नाबालिग होने की वजह से संबंधित कानून के तहत ऐसा करने की मंजूरी नहीं है। इस मामले में अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहें। साथ ही अदालत ने कहा था कि लिवर दान किया जा सकता है या नहीं, यह देखने के लिए संबंधित अस्पताल में नाबालिग का प्रारंभिक परीक्षण किया जाना चाहिए।
मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में नाबालिग की मां भी लिवर डोनेट करने के लिए तैयार थी लेकिन मेडिकल टेस्ट में वह लिवर डोनेट करने के लिए फिट नहीं पाई गई। वहीं अब इस मामले को लेकर बहस शुरू हो गया है कि क्या जीवित नाबालिगों को अंगदान की अनुमति दिया जाना चाहिए या नहीं? क्योंकि कानून के अनुसार कोई भी नाबालिग मौत से पहले अपने शरीर का कोई भी अंग या टिश्यू टोनेट नहीं कर सकता है।
आपको बता दें कि 17 साल के एक नाबालिग लड़के ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। नाबालिग लड़के ने याचिका दायर कर अदालत से अनुमति मांगा था कि उसे लिवर डोनेट करने की अनुमति दी जाए क्योंकि उसके पिता की हालत गंभीर है और उन्हें तुरंत लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है।