पेगासस मामले में विपक्ष ने सरकार को घेरा, कहा- ‘मोदी सरकार ने देशद्रोह किया

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (2‌9/01/2022) : अमेरिकी अख़ाबर न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुक्रवार को अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि भारत ने इसराइली स्पाईवेयर पेगासस को खरीदा था। यह रिपोर्ट बताती है कि पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भारत और इज़रायल के बीच 2017 में हुई करीब 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (USD $ 2 Billion) की उन्नत हथियारों और खुफिया उपकरणों की डील में “केंद्र में” था। इस रिपोर्ट में जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इज़राइल दौरा का भी वर्णन किया गया है और इस यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल का दौरा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस करके पेगासस मामले में मोदी को निशाना साधते हुए कहा कि “एक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन में चौंकाने वाले नए खुलासे ने अब पुष्टि की है कि हमने लंबे समय से क्या दावा किया है। ‘मोदी सरकार इजरायली निगरानी स्पाईवेयर पेगासस के माध्यम से अवैध और असंवैधानिक जासूसी और जासूसी रैकेट की तैनाती और निष्पादक और प्रधान मंत्री श्री मोदी स्वयं शामिल हैं’। उन्होंने आगे कहा हैं, “लोकतंत्र का बेशर्म अपहरण और देशद्रोह का कार्य। मोदी सरकार ने 2017 में पेगासस को एक पैकेज के केंद्रबिंदु के रूप में अन्य सैन्य तकनीकों के साथ खरीदा, जिसमें पीएम मोदी की यात्रा के दौरान इजरायल से लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के हथियार और खुफिया उपकरण शामिल थे।”

राहुल गांधी ने इस मामले में ट्वीट कर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि “मोदी सरकार ने हमारे प्राथमिक लोकतांत्रिक संस्थानों, राजनेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा। इन फोन टैपिंग से सरकारी अधिकारी, विपक्षी नेता, सशस्त्र बल, न्यायपालिका सभी निशाने पर थे। यह देशद्रोह है। मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।”

दिल्ली युथ कांग्रेस ने लिखा है “मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। ये देशद्रोह है। मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।”

आपको बता दें कि पिछले साल पेगासस जासूसी सॉफ़्टवेयर के ज़रिए कई देशों में नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के कॉल रिकॉर्ड करने की बात सामने आई थी। इसमें भारत का भी नाम शामिल था। विपक्षी पार्टियों द्वारा इस मामले में सवाल भी उठाया था और आरोप भी लगाया था लेकिन सरकार ने विपक्ष के आरोपों को गलत बताया था और प्रधानमंत्री इस मामले में कुछ नहीं बोले थे।