आज 26 जून 2021 को सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग के लिए ट्विटर पर जोरदार अभियान चलाया जिसमें 1 जनवरी 2004 से केंद्र सरकार द्वारा बन्द की गई पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की गई।
कुछ दिन पहले पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन, National Movement for Old Pension Scheme(NMOPS) द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया गया था कि कोरोना महामारी के बीच सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग के लिए जोरदार तरीके से ट्विटर पर मुहिम चलाई जानी चाहिए। साथ ही देश को निजी हाथों में सौंप रही केंद्र सरकार से निजीकरण को रोकने की मांग रखने का प्रस्ताव पास हुआ था। जिसके लिए 26 जून को दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक का समय निर्धारित किया गया था। इसके लिए #RestoreOldPension और #PrivatizationNoSolution हैशटेग के साथ सरकारी कर्मचारियों ने इतिहासिक संख्या में ट्वीट किया।
ट्विटर पर दोपहर 13 बजे से ही लगातार ये हैशटैग भारत में पहले स्थान पर ट्रेंड करने लगा और देखते ही देखते मात्र चार घण्टे में लाखों ट्वीट होने की खबरें आने लगीं। आज इस विषय पर सरकारी कर्मचारियों ने खबर लिखे जाने तक लगभग 15 लाख ट्वीट किए हैं।
गौरतलब है कि सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन 1 जनवरी 2004 के बाद से खत्म करके नई पेंशन स्कीम प्राइवेट कंपनियों के माध्यम से तत्कालीन भाजपा सरकार ने लागू की थी जिसके परिणाम अब रिटायरमेंट पर सरकारी कर्मचारियों के सामने आ रहे हैं जिसमें रिटायर होने वाले कर्मचारियों को 1200 1500 रुपये पेंशन मिल रही है। लंबे समय से सरकारी कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। और देश भर में आंदोलन चरम पर है।
आज इस मौके पर NATIONAL MOVEMENT FOR OLD PENSION SCHEME के दिल्ली प्रदेश के महासचिव आक़िल अख़्तर ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों ने इतने बड़े पैमाने पर पहली बार एकजुटता के साथ संघर्ष का बिगुल बजाया है और महामारी के बीच आंदोलन सोशल मीडिया के माध्यम से इसी प्रकार जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि एक सरकारी कर्मचारी 30 से 35 वर्ष की सेवा करने के बाद भी निजी कंपनियों द्वारा शोषण का शिकार हो रहा है, जबकि सरकार की मिलीभगत से ये कम्पनियां सरकारी कर्मचारियों के पैसे हड़प रही हैं। एक दिन जब असलियत सामने आएगी तो देश के इतिहास में यह सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा।
NMOPS के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह पटेल ने कहा कि पेंशन सरकारी कर्मियों का अधिकार है जिससे सरकार मुँह मोड़कर हमें प्राइवेट कंपनियों के हवाले नहीं कर सकती है। एक नेता यदि एक दिन के लिए भी विधायक या सांसद बन जाता है तो आजीवन पुरानी पेंशन प्राप्त करता है जबकि सरकारी कर्मचारी पूरे जीवन भर सेवा करने के बाद प्राइवेट कंपनियों का शोषण सहन करने पर मजबूर है। उन्होंने कहा कि निजीकरण कोई हल नही है, आज कोरोना की वैश्विक महामारी में देश को सरकारी कर्मचारियों ने ही सम्भाला, चाहे डॉक्टर हों या पुलिस के जवान हों या शिक्षक हों। हर मोर्चे पर ये सरकारी कर्मचारी ही डटे हुए हैं। ऐसे में सरकार को चहिए कि इन्हें पुरानी पेंशन का उपहार देकर सरकार इन्हें और अधिक उत्साहित करे।