नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 98 प्राइवेट स्कूलों को दो हफ्ते के अंदर अभिभावकों से ली हुई बढ़ी फीस कोर्ट में जमा कराने का आदेश दिया है. ये फीस प्राइवेट स्कूलों को दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के दफ्तर में जमा करानी होगी. अगर स्कूल ऐसा नहीं करते हैं, तो सरकार कड़ी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगी. बुधवार को कोर्ट ने कहा कि ये फीस कैश/एफडीआर/बैंक गारंटी के तौर पर रजिस्ट्ररार को देनी होगी.
लों ने वसूली मनमानी फीस
गौरतलब है कि प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस वसूली पर लगाम कसने के लिए हाईकोर्ट ने पिछले साल जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी बनाई थी. कमेटी ने कुल 1108 प्राइवेट स्कूलों पर रिपोर्ट तैयार की. इसके मुताबिक, 544 स्कूलों ने ज्यादा फीस वसूल की. दिल्ली सरकार ने पिछले महीने कोर्ट को दिए हलफनामे में बताया कि 499 स्कूल फीस वापसी के लिए कमेटी की सिफारिशें नहीं मान रहे हैं.
रकार अपने हाथ में लेगी स्कूलों का प्रबंधन
18 अगस्त को केजरीवाल ने कहा, ‘449 स्कूल अनिल देव सिंह कमेटी की सिफारिशें नहीं मान रहे हैं, हम उनकी मनमानी नहीं सहेंगे. अगर पेरेंट्स से एक्स्ट्रा वसूली गई फीस नहीं लौटाई तो ऐसे स्कूलों का टेकओवर करेंगे.
दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को अपने हलफनामे में प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों को बढ़ी हुई फीस वापस न करने की सूरत में दिल्ली सरकार ने 449 स्कूलों को टेक ओवर करने की बात कही थी.
सरकार ने हाई कोर्ट में कहा है कि पैसा नहीं लौटाने वाले इन सभी प्राइवेट स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसे मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेज दिया गया है.
टेक ओवर से सहमत नहीं हाई कोर्ट
हांलाकि, हाईकोर्ट ने सरकार के प्राइवेट स्कूलों को टेक ओवर करने के इरादे पर भी सवाल खड़े कर दिए है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब सरकारी स्कूलों को ही ठीक से चलाने के लिए आपके पास स्टाफ नहीं है तो इतनी बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों को आप टेक ओवर कर कैसे चलाएंगे। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी.