प्रजातंत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल एक महत्वपूर्ण उपकरण: राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (19/05/2022): भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आज ‘लोकतांत्रिक शासन के लिए वंशवादी राजनीतिक दलों का खतरा’ विषय पर नेशनल सेमिनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रजातंत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल एक महत्वपूर्ण उपकरण है अगर वह स्वस्थ्य है तो प्रजातंत्रिक स्वस्थ्य और अगर वह अस्वस्थ्य है तो प्रजातंत्रिक अस्वस्थ्य है। इसके अलावा उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो परिवारिक पार्टियां हैं, उनका उद्देश्य सिर्फ सत्ता पाना होता है। इनकी कोई विचारधारा नहीं है। इनके कार्यक्रम भी लक्ष्यविहीन होते हैं।

प्रजातांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल महत्वपूर्ण उपकरण है। अगर वह स्वस्थ हो तो प्रजातंत्र स्वस्थ है। अगर वो अस्वस्थ है तो प्रजातंत्र अस्वस्थ है। इससे धीरे-धीरे प्रजातांत्रिक व्यवस्था पर आघात पहुंचने लगता है। उन्होंने कहा कि पार्टी का स्वास्थ्य कैसा है, उसके सिस्टम कैसे हैं, ये सब बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस महत्व को समझते हुए हमें ये ध्यान रखना होगा कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्य क्या हैं, नेता के बीच संबंध क्या हैं, संगठन की विचार प्रक्रिया क्या है।

उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो परिवारिक पार्टियां हैं, उनका उद्देश्य सिर्फ सत्ता पाना होता है। इनकी कोई विचारधारा नहीं है। इनके कार्यक्रम भी लक्ष्यविहीन होते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी परिवारवादी पार्टियों से लड़ रही है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, हरियाणा में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD), उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में राजद, पश्चिम बंगाल में दीदी-भतीजे की पार्टी है, झारखंड में बाबू जी के बुजुर्ग होने के बाद बेटे ने पार्टी संभाल लिया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों में धीरे-धीरे कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। अब उन क्षेत्रीय पार्टीयों में विचारधारा किनारे हो गई और परिवार सामने आ गया है। इस तरह से क्षेत्रीय पार्टीयां, परिवारवादी पार्टियों में बदल गई हैं।

उन्होंने कहा कि रीजनल पार्टियों को किसी भी तरह से सत्ता में आना होता है इसलिए ये धुर्वीकरण करने में भी पीछे नहीं रहते हैं। फिर धुर्वीकरण चाहे जाति के आधार पर करें, या धर्म के आधार पर करें। राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को ताक पर रख दिया जाता है और सत्ता को पाने के लिए धुर्वीकरण किया जाता है।