@arunjaitley ji SMALL AND ILLITERATE TRADERS IN TROUBLE DUE TO GST @pmoindia

*प्रेस विज्ञप्ति*

प्रेषक
सुशील कुमार जैन
चेयरमैन
फेडरेशन आफ इंडस्ट्रियलिस्ट, ट्रेडर्स एंड ज्वेलर्स एशोशियेशन्स ।
*विषय- असंगठित क्षेत्र के लिये जी एस टी के नियम कानून घातक । असंगठित क्षेत्र के परिचालन खर्चे असहनीय तरीके से बड़ जायेगे।*

असंगठित क्षेत्र मे जी एस टी आने के बाद छोटे एवं मध्यम व्यवसायी के खर्चे असामान्य तरीके से असहनीय रूप मे बड़ जायेगे। *चेयरमैन FITJA सुशील कुमार जैन* ने कहा कि
GST मे बात टैक्स कि नहीं है यहां बात है कि लोगों को जो उसके लिए जरूरत पूरी करनी होगी ।*अब हर छोटे व्यापारी को अपने पास में नेटवर्क बनाना होगा इंटरनेट और कंप्यूटर रखना होगा ।और पचास हजार से ऊपर का बिल रजिस्टर करने के लिए उसे इस लायक बनना पड़ेगा *।ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो या आनलाईन रिटर्न इसके लिये महीने की 10 तारीख को सेल्स रिटर्न देनी है उसके बाद 15 तारीख को खरीद और 20 तारीख को टैक्स जमा करना है।3 रिटर्न बनती है वार्षिक रिटर्न अलग बनती है ।इ के अलावा और भी जरूरी रिटर्न है।यह सब काम करने के लिए या तो उसे पढ़ा लिखा होना पड़ेगा या फिर उसे वकील या सी ऐ रखना पड़ेगा इस वजह से उसका खर्चा बड़ेगा। और कितने ही छोटे व्यापारियों का लाभ उस दृष्टि से कम होता है ।और काफी सारे व्यापारी खाली इसी वजह से बन्दी की कगार पर आ जाएंगे उनका विभाग द्वारा प्रताणन अलग होगा ।*पूरा जीएसटी एक्ट देखने के बाद आपको लगेगा कि यह एक सिर्फ पढ़े लिखे बिजनेसमैन को बिजनेस करने के हिसाब से बनाया गया गया*20 लाख की टर्नओवर तक की छूट दी गई है वह भी बहुत कम है ।और 5000000 की कंपोजीशन की स्कीम है वह भी कम है।*

महीने के 20 दिन व्यापारी सिर्फ अपना रिटर्न आदि के कामों में ही लगा रहेगा क्योंकि e way की वजह से उसको बार-बार समान की भी रिपोर्ट करनी होगी ।और भी कई क्लाॅज हैं। जिनकी वजह से उसका प्रताणन संभव है। हम पिछले 2 महीने से लगातार जीएसटी के ऊपर क्लास दे रहे हैं किंतु अभी तक हम जिन लोगों को जीएसटी के बारे में बता चुके हैं वह रोज नया सवाल खड़ा कर देते हैं ।उनकी समझ से जी एस टी अभी तक बाहर है ।हमारी चिंता हमारे छोटे और मध्यम व्यापारी की है जो कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी व्यापार करने में आगे आए हैं ।जिनकी शिक्षा उस स्तर की नही है। जिनके पास आज भी बहुत ज्यादा सुविधाएं व्यापार के हिसाब से नहीं है। जिन्हे अपना उधार का हिसाब भी नही रखना आता है। अगर जीएसटी की सारी क्लाॅज समझी जाए तो उनमें कारीगर को भी सर्विस टैक्स देना है। यदि उसकी बिक्री
20 लाख से ऊपर है ।पूरे जीएसटी में आज के समय में भी बहुत सारी क्लाॅज इस तरह की हैं जिनके ऊपर अभी तक कहीं से कोई स्पष्टीकरण नहीं है। मुझे नहीं लगता कि ई वे बिल 50,000 की लिमिट से बनाने पर सिस्टम काम कर पाएंगे ।आज नहीं तो कल जीएसटी में बहुत सारे अमेंडमेंट करने पड़ेंगे ।मेरी समझ से बाहर है कि जब आप एक नई कर प्रणाली ला रहे हैं तो उसमें 5 तरह के कर क्यो लगाए गए ।क्यों नहीं कोई एक कर लगाया गया ।एक ही कर लगाने से कम से कम लोगों को यह सवाल तो नहीं करना पड़ता कि मेरे वाले आइटम पर कितना टैक्स है ।एक ही आइटम में कई तरह के टैक्स दिखाई दे रहे हैं। यह टेक्स को और ज्यादा कठिन बनाता है। बजाएं सरल करने के कुल मिलाकर अगर मैं कहूं कि यह एक्साइज सर्विस टैक्स और वैट को मिलाकर एक साथ थोपने दिया गया है ।तो कोई बड़ी बात नहीं है
जिस देश में आज भी शिक्षा की भारी कमी है और शिक्षा व्यवस्था हमारे देश में किसी भी व्यक्ति को संपूर्ण व्यक्तित्व या हर फिल्ड का ज्ञान नहीं दे पाती है। वहां हमारे वित्त मंत्री यह सोच कर जीएसटी लेकर आए हैं कि हमारा व्यापारी इतना पढ़ा लिखा है कि उसे इस काम को करने में कोई भी समस्या नहीं आएगी। अगर हमारे शहर में पांच सेल पॉइंट है तो हमें पांचों की Returns अलग जमा करनी होगी पांच रजिस्ट्रेशन एक पाप पर । अगर पूरे देश में सौ ब्रांच हैं तो सौ की सौ की रिटर्न अलग भरनी होगी यह कोई न्यायोचित बात नहीं लगती।

आप इस व्यवस्था को कर चोरी रोकने के हिसाब से तो बहुत अच्छा समझ सकते हैं । किंतु व्यापार करने और व्यापार करने वालों की हैसियत के हिसाब से उनकी शिक्षा की हिसाब से उचित नहीं।
20 लाख की टर्न ओवर का मतलब होता है ₹6000 रोज से भी कम सेल रोज की होगी ।जब भी उसे जीएसटी के दायरे में आना होगा ।एक गली मोहल्ले की जो छोटी दुकान होती है उसकी टर्नओवर भी रोज की लगभग 25 से ₹30000 की होती है अब यदि वह कंपोजीशन स्कीम में भी जाना चाहता है। तो उसकी सेल ₹15000 के आसपास रोज की होनी चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि जो आपके गली मोहल्ले की दुकानें हैं ।उनकी मुश्किलें पड़ने वाली है और उससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या जीएसटी में इन लोगों को सरकार का कंट्रोल हो पाएगा ।

इस जीएसटी में मोबाइल चेक पोस्ट एवं भविष्य में चेकपोस्ट की व्यवस्था की गई है जो कि सरासर अन्याय हैं फिर से सड़कों पर जाम लगने लगेगा व्यापारी हमेशा चेक पोस्ट पर प्रताड़ित होगा ।एक ऐसी व्यवस्था जिससे कि बड़ी मुश्किल से सरकारों ने मुक्ति पाई है फिर से पुराने अंधेरे में धकेल देगी *सुशील कुमार जैन ने कहा कि आने वाले जीएसटी में कितनी ही शर्तों में एक ही काम पर अलग अलग तरीके से करो की व्यवस्था की गई है जहां की यदि कोई व्यक्ति माल को बनाकर खुद बेचता है वह 5 परसेंट के दायरे में आता है और यदि लेबर का काम करके बेचता है तो 18 परसेंट के दायरे में आता है यह सरासर अन्याय है हमारे बहुत ही छोटे व्यापारी कारीगर अथवा उद्योग पर कर की दरों का बेमेल व्यवस्था करके जीएसटी के विभागों द्वारा व्यापारियों का प्रसारण होगा और उन्हें इंस्पेक्टर राज को झेलना पड़ेगा फिर से एक नए इंस्पेक्टर राज का जन्म होगा जिसे सरकार कहीं भी नियंत्रित नहीं कर पाएगी*
सुशील कुमार जैन ने यह भी कहा कि सरकार को लाए गए जीएसटी के नियम कानून एवम लगाए गए जीएसटी के कर की दरों को एकसमान करना ही होगा जहां हमारा संगठित क्षेत्र आज हर्ष महसूस कर रहा है वहीं असंगठित क्षेत्र को इन नए नियम कानूनों और करो की वजह से व्यापार छोड़ना भी पड़ सकता है क्योंकि यूनिवर्सिटियों में वह बड़े कारपोरेट व्यापारियों या संगठित क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा में मुकाबला नहीं कर पाएगा ।सरकार को अभी भी कोई ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे हमारा असंगठित अशिक्षित छोटा एवं मध्यम व्यापारी एक समान एक मुक्त कर देकर अपने आपको निर्णय का नियम-कानूनों को की वजह से ठगा हुआ महसूस ना करें।

*सुशील कुमार जैन*
*चेयरमैन फेडरेशन इंडस्ट्रीयिलिस्ट ट्रेडर्स एंड ज्वेलर्स एशोशियेशन्स*
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