“भारत सरकार ने 20 नवंबर के नोटिफिकेशन में साफतौर पर स्पष्ट कर दिया है कि आयुर्वेद डॉक्टर भी सर्जरी कर सकेगे”
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में सर्जरी भी सामिल है –
Australian College of Surgeons Melbourne में ऋषि सुश्रुत की प्रतिमा “फादर ऑफ सर्जरी” टाइटल के साथ स्थापित है। आयुर्वेद में सर्जरी को शल्य चिकित्सा के रुप में जाना जाता है।
भारत में आयुर्वेद चिकित्सा का इलाज बहुत ही प्राचीन है इस बात की पुष्टि सुश्रुत संहिता में हो चुकी है। सुश्रुत संहिता में स्पेशलिटी के आधार पर सर्जरी को 8 भोगों में वर्गीकृत किया गया है जिन्हें ‘अष्टविध शस्त्र कर्म’ के नाम से जानते है। सुश्रुत संहिता में 125 प्रकार के शल्य चिकित्सा उपकारणों का वर्णन मिलता है और सुश्रुत संहिता में 300 प्रकार की सर्जरी का भी उल्लेख है। आयुर्वेदि चिकित्सक (जिसने आयुर्वेद के संपूर्ण मानदंड एवं अनिवार्य अहर्ता को पूरा किया हो) वह सर्जरी कर सकता है।
चीन ने अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन दिया जिसका नतीका यह है –
90 के दशक के बाद से चीनी की पारंपिरक चिकित्सा (Traditional Chinese Medicine, TCM) के वैश्विक बाजार में तेजी से वृद्धि हुई है। 2011 में चीनी की TCM का कूल मूल्य 317 RBM थी जिसमें 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई और अब यह € 36.8 बिलियन के करीब पहुच गई है।
आयुर्वेदिक स्पेशयलिटी क्लिनिक –
अब आयुर्वेद में आवश्यकता है सुपर स्पेशयलिटी क्लिनिक की, जहाँ एक विशेष श्रेणी के रोगों का विशेष उपचार किया जा सके। ऐसा ही एक उदाहरण आशा आयुर्वेदा केन्द्र ने प्रस्तुत किया है। आशा आयुर्वेदा में स्त्री रोग एवं निःसंतानता का निदान प्रमुखता से किया जाता है।
आयुर्वेदिक औषधि एवं पंचकर्म पद्धति का इस्तेमाल कर डॉ चंचल शर्मा ट्यूबल ब्लॉकेज एंडोमेट्रोयोसिस, हाइड्रोसालपिक्नस,पीसीओएस,पीसीओडी,लोएएमएच,एजोस्पर्मिया, ओलिगोस्पर्मिया का उपचार कर हजारों निःसंतान दंपत्तियों के अधूर सपनो को पूरा किया है।
आयुर्वेद आने वाले भविष्य में स्वास्थ्य चिकित्सा क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित करके, भारत को विश्वगुरु बना सकता है। आयुर्वेद भारत की अर्थव्यवस्था का एक नया स्तंभ बन सकता है।