नोएडा :,जोकि शर्मनाक हार के बाद, सभाएं आयोजित कर हार के कारणों पर मंथन का नाटक कर रहे हैं। घोर विरोधी प्रवृत्ति के लोग, खुद के द्वारा किए गये भ्रष्टाचार-अनाचार पर पर्दा डालने के लिए आपस में गठबंधन किया। जातिवाद, क्षेत्रवाद, तुष्टीकरण की उनकी नीतियां , अपशब्द , झूठे आरोप, जिन्हें जनता ने नकार दिया और राष्ट्रवाद,सबका साथ, सबका विकास के पक्ष में अपना मत दिया।
जनता शक्ल देखकर नहीं, काम और देशहित की नीतियां देखकर वोट डालती है। इसीलिए प्रियंका गांधी का जादू नहीं चला। राहुल गांधी में न तो परिपक्व राजनेता के गुण हैं और न वह अच्छे कुशल वक्ता हैं। उनके बेतुके बयान ही उनकी हार के कारण हैं। कांग्रेस अगर अपना अस्तित्व बचाना चाहती तो उसे कांग्रेस की बागडोर किसी सुलझे हुए राजनेता के हाथ में देनी पड़ेगी। जनता को भोली समझकर उसे गुमराह करने की भूल भविष्य में न करें।
हार-जीत तो ठीक, लड़ाई लड़ो उसूलों की
माफी मांगो स्वयं की गई अपनी भूलों की।
याद करो गालियां, मढ़े थे जो झूठे आरोप
पीर करो महसूस, चुभोये खुदके शूलों की।।