दिल्ली के एलजी औऱ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश कांग्रेस ने दिल्ली सरकार को घेरने में लगा हुआ है । आपको बता दे कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने आने वाले चुनाव को लेकर एक नई रणनीति बनाने शुरू कर दी है । जिसको लेकर दिल्ली के सभी पूर्व विधायक , कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की । साथ ही इस बैठक में अगले साल होने वाले आम चुनाव की रणनीतियों और संगठन को मजबूत करने पर चर्चा हुई। कहा गया कि जो सियासी हालात हैं, उसमें दिल्ली में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए कांग्रेस को काफी काम करने की जरूरत है। इसके लिए पार्टी को जहां जनता में अपनी पैंठ बनानी होगी, वहीं खोया हुआ भरोसा वापस लाने की भी कोशिशें करनी होगी।
कार्यकर्ताओं और संगठन को सक्रिय करने के लिए कुछ ऐसे कार्यक्रम देने होंगे, जिनके जरिए जनता से संवाद बनाया जा सके और केजरीवाल सरकार को भी घेरा जा सके।बैठक में पूर्व मंत्रियों का कहना था कि पार्टी को आंदोलन मोड में आना होगा और दिल्ली की केजरीवाल सरकार को अब जनता से किए अपने वायदों को पूरा करने के लिए दबाव बनाना होगा ताकि लोग इस बात को समझ सकें कि केजरीवाल सरकार उपराज्यपाल के साथ टकराव का रास्ता अपनाकर जनहित की तमाम महत्वकांक्षी योजनाओं को क्रियान्वित करने में टाल-मटोल कर रही है।
इन योजनाओं में फ्री वाई-फाई, बेहतर परिवहन सेवा प्रदान करने के लिए नई इलेक्ट्रॉनिक बसों की खरीद, बंद की गई 100 से अधिक डिस्पेंसरियों को फिर से चालू करना, जन लोकपाल और नए स्कूल-कॉलेजों का निर्माण जैसे अहम मुद्दों पर सरकार की पोल खोलनी होगी और जनता को हकीकत से अवगत कराना होगा। दूसरी ओर दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम से हुई मुलाकात को लेकर कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। सियासी गलियारों में इस तरह की चर्चा है कि इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन स्वयं को दबाव में महसूस कर रहे हैं। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि माकन शुरू से ही कहते रहे हैं कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी पार्टी ने ही पहुंचाया है।