इंदौर. देश में कैंसर से जूझ रहे रोगियों के लिये अच्छी खबर है. केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. आर. चिदंबरम ने उम्मीद जतायी है कि अलग-अलग राज्यों के दो चिकित्सा केंद्रों में अत्याधुनिक तकनीक वाली प्रोटॉन किरण पद्धति से कैंसर रोगियों के इलाज की सुविधा जल्द शुरू होगी. चिदंबरम ने मंगलवार की यहां एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में एक सवाल पर बताया कि मुंबई के टाटा स्मारक केंद्र (टीएमसी) और चेन्नई में निजी क्षेत्र के एक अस्पताल में प्रोटॉन किरण पद्धति से कैंसर के इलाज की सुविधा की जल्द शुरूआत होगी.
उन्होंने बताया कि भारत के लाखों कैंसर मरीजों के इलाज के लिये पूर्णतः स्वदेशी तकनीक वाली प्रोटॉन किरण पद्धति विकसित करने का अनुसंधान भी शुरू किया जायेगा. विशेषज्ञों के मुताबिक कैंसर के ट्यूमर को बेहद बारीकी से निशाना बनाने वाली प्रोटॉन पद्धति का इस्तेमाल खासकर उन मरीजों पर किया जाता है, जिन पर रेडियोथेरिपी की पारंपरिक पद्धति का प्रयोग खतरनाक साबित हो सकता है.
हालांकि माना जाता है कि प्रोटॉन पद्धति से इलाज के दौरान मरीज के कैंसर प्रभावित ट्यूमर के आस-पास के स्वस्थ ऊतक विकिरण चिकित्सा के दुष्प्रभाव से अपेक्षाकृत सुरक्षित रहते हैं. चिदंबरम, इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआरसीएटी) में भारतीय कण त्वरक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने आये थे. उन्होंने मीडिया से चर्चा में इस बात पर भी जोर दिया कि आयुर्वेद सरीखी प्राचीन भारतीय पद्धतियों के वैज्ञानिक पहलुओं को लेकर अनुसंधान तेज किया जाये.
चिदंबरम ने कहा कि आयुर्वेद और देश की अन्य पारम्परिक पद्धतियों में निहित ज्ञान को आधुनिक विज्ञान की रोशनी में सिद्ध किये जाने पर विश्व समुदाय में भारत के इस प्राचीन ज्ञान की स्वीकार्यता बढ़ेगी. प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा कि विज्ञान के उच्च अनुसंधान क्षेत्र के साथ-साथ आम आदमी की जरूरतों और समस्याओं को लेकर नये त्वरक विकसित किये जाने चाहिये. इसके साथ ही, वैज्ञानिक क्षेत्र में अर्जित ज्ञान का लगातार लेन-देन होते रहना चाहिये ताकि यह लगातार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंच सके.
चार दिवसीय भारतीय कण त्वरक सम्मेलन परमाणु ऊर्जा विभाग के नाभिकीय विज्ञान अनुसंधान बोर्ड (बीआरएनएस) और भारतीय कण त्वरक सोसायटी (आईएसपीए) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है. त्वरक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुसंधानों पर केंद्रित द्विवार्षिक सम्मेलन में देश भर के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं.