नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) या जिसे आम बोलचाल में पीएफ भी कहते हैं. ईपीएफ अकाउंट नौकरी पेशा लोगों के लिए होता है. इसमें आपका नियोक्ता सैलरी का कुछ फीसद हिस्सा काटकर (मौजूदा समय में 12 फीसदी) पीएफ ऑफिस में जमा करा देता है. यह तय रकम सरकार की ओर से निर्धारित होती है और इस तय रकम में नियोक्ता भी अपना हिस्सा (हमारी सीटीसी का हिस्सा) जोड़कर जमा करवाता है.
पीएफ अकाउंट के पांच फायदेः
1. पीएफ खाते पर बाई डिफॉल्ट बीमा भी मिलता है. इम्पलॉयज डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंसस (ईडीएलआई) योजना के तहत पीएफ अकाउंट पर 6 लाख रुपये तक बीमा मिलेगा.
2. अगर आपका यूनिवर्सल एकाउंट नंबर (यूएएन) आधार से लिंक है तो आप अपने एक से अधिक पीएफ अकाउंट्स (यदि नौकरी बदलते हैं तो) को लिंक कर सकते हैं. अगर आप जॉब बदलते हैं तो अब आपको पीएफ अकाउंट ट्रांसफर करने की औपचारिकताओं में नहीं पड़ना होगा. क्योंकि अब नौकरी बदलने पर पीएफ का पैसा ट्रांसफर करना अब आसान हो गया है. ईपीएफओ एक नया फॉर्म लेकर आया है, फॉर्म 11 जो कि फॉर्म 13 की जगह पर इस्तेमाल होगा.
3. दस साल तक लगातार पीएफ अकाउंट मेंटेन करने पर लाइफटाइम की कर्मचारी पेंशन स्कीम का फायदा मिलेगा. इसका मतलब है कि दस साल तक लगातार ऐसी नौकरी (नौकरियों) में रहने जहां से आपके पीएफ अकाउंट में पैसा जमा होता रहा तो आपको एंप्लॉयी पेंशन स्कीम 1995 के तहत एक हजार रुपये की पेंशन रिटायरमेंट के बाद मिलती रहेगी.
4. पीएफ अकाउंट से पैसे निकालने की बात करें तो आप इन परिस्थितियों में एक तय रकम निकाल सकते हैं. बीमारी में, उच्च शिक्षा के लिए, मकान खरीदने या बनाने के लिए, मकान की रीपेमेंट के लिए, शादी आदि के लिए. इसके लिए आपको ईपीएफओ का एक खास समय तक मेंबर होना चाहिए.
5. ईपीएफओ ने पिछले वर्ष अपने इस फैसले को वापस ले लिया था कि निष्क्रिय पड़े खातों पर ब्याज नहीं मिलेगा. इसका मतलब है कि अब आपको अपने पीएफ अकाउंट पर तब भी ब्याज मिलेगा जब वह तीन साल से अधिक समय तक निष्क्रिय पड़ा रहा हो. तीन वर्षों के दौरान अगर आपके पीएफ खाते से न पैसा निकाला गया और न ही इसमें डाला गया तो भी मौजूदा रकम पर ब्याज मिलता रहेगा.