मोदी सरकार की महंगाई को आंकड़ों में दबाने की कोशिश: कांग्रेस

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (28 नवंबर 2024): कांग्रेस पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि उनका ध्यान महंगाई को नियंत्रित करने पर नहीं, बल्कि महंगाई के आंकड़ों को कम दिखाने पर है। उनका कहना है कि सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को इस तरह से पेश करने की कोशिश कर रही है कि महंगाई कम नजर आए, जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ रहा है।

जयराम रमेश ने कहा कि पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार की ग़लत आर्थिक नीतियों के कारण महंगाई लगातार बढ़ी है। खाद्य पदार्थों, ईंधन, और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में तेज़ी से वृद्धि देखने को मिली है, जो खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने विशेष रूप से दाल, तेल, सब्ज़ी और दूध जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि का हवाला दिया, जो आम परिवारों के बजट पर भारी बोझ डाल रही हैं।

रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई राहत नहीं मिली है। इसके परिणामस्वरूप परिवहन और अन्य सेवाओं की लागत में इजाफा हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब आंकड़ों में महंगाई को कम दिखाने के लिए सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में खाद्य पदार्थों का वेटेज घटाने की तैयारी कर रही है, जो महंगाई के वास्तविक प्रभाव को छिपाने का एक तरीका है।

कांग्रेस नेता ने यह भी याद दिलाया कि यह पहली बार नहीं हो रहा जब मोदी सरकार ने आंकड़ों से छेड़छाड़ की हो। उन्होंने उदाहरण के तौर पर कहा कि जब जीडीपी वृद्धि दर यूपीए सरकार से पिछड़ने लगी, तो आधार वर्ष बदलकर उसे कृत्रिम रूप से बढ़ाने का प्रयास किया गया। इसके अलावा, रोज़गार के आंकड़ों को छिपाने के लिए भी सर्वेक्षणों और रिपोर्ट्स को रोका गया या संशोधित किया गया।

रमेश ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का भी जिक्र किया, जो यूपीए सरकार के समय पड़ोसी देशों से तुलनात्मक रूप से कम थीं, लेकिन मोदी सरकार ने इन कीमतों में इजाफा किया। इसके अलावा, सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाकर 36 लाख करोड़ रुपए का राजस्व इकट्ठा किया, लेकिन आम जनता को महंगाई से कोई राहत नहीं दी गई।

उन्होंने कहा कि इसका असर सरकारी और अर्ध-सरकारी कर्मचारियों की वेतनवृद्धि (इंक्रिमेंट) पर भी पड़ेगा, क्योंकि लगभग 3 से 4 करोड़ लोग आय मूल्य सूचकांक से प्रभावित होते हैं। इसका मतलब यह होगा कि महंगाई भत्ते और वेतन वृद्धि पहले की तुलना में और भी कम हो जाएगी। मोदी सरकार जनता की भलाई के बजाय केवल प्रचार और आंकड़ों की बाज़ीगरी में लगी हुई है। योजनाओं के प्रचार पर ध्यान देने की बजाय, सरकार को आम जनता को राहत देने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह सरकार की प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, जो जनता की वास्तविक समस्याओं से मुंह मोड़ने का प्रयास कर रही है।

 

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