टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (27 नवंबर 2024): अमेरिकी जांच एजेंसी ने अडानी ग्रुप पर झूठे दावों के माध्यम से लोन और बॉन्ड्स जुटाने और रिश्वतखोरी की साजिश के आरोप लगाए हैं। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उनके सभी निर्णय कानून के दायरे में रहते हुए लिए गए हैं।
पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने मामले पर बयान देते हुए कहा कि आरोप पत्र में गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी का नाम नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोप मुख्य रूप से कुछ विदेशी व्यक्तियों पर लगाए गए हैं, और किसी भी तरह की रिश्वतखोरी के ठोस सबूत मौजूद नहीं हैं। एफसीपीए (Foreign Corrupt Practices Act) के तहत लगाए गए आरोप भारतीय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के समान हैं, लेकिन इनमें अडानी परिवार का सीधा जिक्र नहीं है।
वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने भी इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि आरोप केवल साजिश के इरादे तक सीमित हैं, लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया।
यह मामला अडानी ग्रीन एनर्जी द्वारा बांड जारी करने से जुड़ा है। आरोप है कि बांड धारकों को सूचित किए बिना इन्हें जारी किया गया और निवेशकों को भ्रामक जानकारी दी गई। हालांकि, भारतीय कानून के उल्लंघन का कोई प्रमाण नहीं है। जेठमलानी ने कांग्रेस द्वारा जेपीसी जांच की मांग पर कहा कि बिना ठोस सबूतों के यह मांग अनुचित है।
अडानी ग्रुप ने इस मामले को छवि खराब करने की साजिश बताते हुए कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं और कंपनी जल्द ही अमेरिकी वकीलों से कानूनी सलाह लेगी।
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